पशु-पक्षियों पर भी निर्भर करता है राज्य का भाग्य

Tuesday, Jan 09, 2018 - 04:19 PM (IST)

एक मुसलमान बादशाह ने हिंदुस्तान के दक्षिणी राज्य पर चढ़ाई की। राज्य की सीमा पर पहुँचकर उसने अपना एक दूत राजा के पास भेजा और यह संदेश भेजा-‘या तो तू अपना राज्य खाली कर दे या मेरे साथ युद्ध करने को तैयार हो जा। राजा ने यह संदेशा सुन दूत से संदेश भेजा कि हम राज अपने सुख के लिए नहीं करते अपितु प्रजा के सुख के लिए करते हैं। हमारे यहां नितांत धर्मपूर्वक ही राज-कार्य होता है। यदि इस भांति तुम्हारा बादशाह करना स्वीकार करेगा तो हम राज्य को छोड़ने के लिए तैयार हैं। हम लड़कर मनुष्यों का नाश करना नहीं चाहते हैं।

 

दूत ने यह संपूर्ण वृतांत बादशाह से जाकर कहा। बादशाह उस राजा की न्यायोचित वार्ता सुनकर बहुत प्रसन्न हुआ। उसके हृदय में उस राजा से मिलने की एक अदम्य अभिलाषा उत्पन्न हुई और वह स्वयं ही राजा की सभा में आकर उपस्थित हो गया। सभा लगी हुई थी और दो कृषकों का अभियोग चल रहा था। अभियोग यह था कि एक कृषक ने दूसरे कृषक के हाथ अपनी कुछ भूमि विक्रय की थी। कुछ काल के उपरांत उस विक्रय की हुई भूमि में से एक बड़ा कोष निकला। तब भूमि मोल लेने वाला कृषक बेचने वाले से कहने लगा कि आपकी भूमि से एक कोष निकला है, सो आप चलकर अपना कोष ले लीजिए; क्योंकि हमने तो केवल भूमि मोल ली है, न कि कोष। 

 

इस पर विक्रय करने वाला कृषक कहने लगा कि यदि भूमि बेचने से पहले हमारी भूमि होते हुए कोष निकलता तो निस्संदेह वह हमारा कोष होता; परंतु जब हमने वह भूमि आपको बेच दी है, तब वह कोष भी आपका ही है। राजा ने इन दोनों वादी-प्रतिवादी के झगड़े का यह निर्णय किया, ‘‘तुम दोनों में से जिस किसी के लड़का और जिस किसी के लड़की हो, परस्पर उनका ब्याह कर यह संपूर्ण कोष उन लड़के-लड़की को दे देना।’’

 

बादशाह इस न्याय को देख दंग रह गया। राजा ने बादशाह से पूछा, ‘‘कहिए, आपकी राय में यह न्याय कैसा हुआ? बादशाह ने कहा, ‘‘यह बिलकुल वाहियात हुआ। राजा ने पूछा, ‘‘भला आप इसे कैसे करते? बादशाह ने कहा, हम तो इन दोनों को कारागार में भेज संपूर्ण धन अपने कोष में भेज देते। यह सुन राजा ने पूछा क्या आपके राज्य में पानी बरसता है? जाडा़ गर्मी ऋतुएं ठीक समय पर होती हैं? अन्नादि उत्पन्न होते हैं ?’’ बादशाह ने कहा, ‘‘यह सब होता है। राजा ने पूछा, आपके राज्य में केवल मनुष्य ही रहते हैं या पशु पक्षी आदि भी रहते हैं?

 

बादशाह ने कहा, ‘‘सब जीव रहते हैं।’’ तब राजा ने कहा उन्हीं पशु-पक्षियों के भाग्य से आपके राज्य में वर्षा जाड़ा गर्मी अन्न आदि ही होता है वरना तो आप या आपके सदृश आपकी प्रजा के भाग्य से तो वहां वर्षा, जाड़ा, गर्मी, अन्न आदि होने की मुझे आशा नहीं है।’’

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