इस समय आया सपना होता है सच, संकेतों से जानें भविष्य

Saturday, Sep 16, 2017 - 12:44 PM (IST)

हमारे प्राचीन ग्रंथों में स्वप्न विज्ञान को काफी महत्ता दी गई है। स्वप्न केवल मानसिक कल्पना नहीं अपितु परमात्मा की ओर से होने वाली घटनाओं के पूर्व संकेत हैं। प्राचीनकाल में रामायण में वर्णित है कि जब सीता जी श्रीराम के वियोग में अत्यंत दुखी थीं तब उनके निकट रहने वाली त्रिजटा नाम की राक्षसी उन्हें मातृ समान प्यार करती थी। सुंदरकांड में भी वर्णित है कि त्रिजटा ने सीता को अशोक वाटिका में रात का स्वप्न इस प्रकार सुनाया था, ‘‘बेटी मैंने रात स्वप्न देखा कि लंका में एक विशाल वानर ने प्रवेश किया है। उसने सारी लंका जला दी है। उसकी सहायता के लिए अन्य वानरों ने लंका को घेर लिया है, तथा रावण का पूरा परिवार समाप्त हो गया है और रावण भी नग्नावस्था में तेल लगाकर भैंसे पर बैठकर दक्षिण दिशा की ओर जा रहा है।’’ 


वहीं दशरथ को भी श्रवण कुमार के माता-पिता उनकी मृत्यु मांगते हुए स्वप्न में दिखाई देते हैं। माल्यवान (रावण का नाना), विभीषण आदि को भी अलग-अलग रूप में अच्छे स्वप्न नहीं दिखते।


द्वापर में भी कंस को हर समय हर रूप में विष्णु द्वारा मारने के स्वप्न ही दिखाई देते हैं। महाभारत काल में भी भीष्म पितामह, अर्जुन, द्रौपदी,दुर्योधन आदि को युद्ध में अलग-अलग स्वप्न दिखाई देते हैं।


हर मानव पर स्वप्न का प्रभाव निश्चित पड़ता है। यदि कोई अच्छा सा स्वप्न दिखाई दे तो हम बहुत खुश होते हैं, अगर कोई बुरा स्वप्न दिखता है तो हम गंभीर होकर तुरंत ज्योतिषियों के पास पहुंच जाते हैं। स्वप्न तो छोटे-छोटे बालकों को भी नहीं छोड़ते। वे नींद में कभी हंसते हैं और कभी डर से रोने लगते हैं, उन पर स्वप्न का प्रभाव निश्चित 
पड़ता है।


ज्योतिष विज्ञान में सबसे अधिक स्वप्न विज्ञान की महत्ता है जिनके आधार पर ज्योतिषियों को फलित करने में काफी सहायता मिलती है। इसका सीधा प्रभाव देखने में आता है अगर जातक की राहू, केतु, शनि की महादशा, अंतर्दशा चल रही हो तो उसे हमेशा डरावने कष्टप्रद स्वप्न दिखाई देंगे और यदि जातक की सूर्य, मंगल  की महादशा या अंतर्दशा चल रही हो तो उसे आग एवं चोट लगने के स्वप्न दिखाई देंगे। चंद्रमा और गुरु की अंतर्दशा में कफ, पेट आदि से संबंधित रोग या राजगद्दी प्राप्ति के स्वप्न दिखाई देंगे। अगर शुक्र की उच्च स्थिति है तो जातक को सुख, ऐशो आराम, धन लक्ष्मी संबंधित स्वप्न दिखाई देंगे। शुक्र की नीच की स्थिति होने पर शरीर में अनेक बीमारियों के स्वप्न दिखाई देते हैं। 


स्वप्न का काल व गणना के आधार पर फल 
आधी रात के स्वप्न शरीर के तत्वों अर्थात कफ, पित्त, वायु आदि के आधार पर दिखाई देते हैं। इनका स्वप्नफल निष्फल जाता है।


बुरा स्वप्रफल प्रात:काल 3 से 6 बजे के बीच दिखाई देता है जिसका प्रभाव मानव मात्र पर अवश्य पड़ता है। 


प्रात: काल का देखा गया स्वप्न 40 दिन के अंदर निश्चित अपना प्रभाव डालता है। 


यदि कोई अचानक बुरा स्वप्न दिखाई दे रहा हो तो ऐसे में एकदम से उठना तथा गायत्री मंत्र पढ़कर पानी पी लेना चाहिए। उसी समय हनुमान चालीसा का पाठ भी अवश्य करना चाहिए तथा फिर सो जाना चाहिए। 


दिन में देखे गए स्वप्न निष्फल होते हैं।

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