Coronavirus- भक्त बिना भगवान का आंगन होगा सूना

Tuesday, Jun 15, 2021 - 08:56 AM (IST)

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नई दिल्ली (अनामिका सिंह): राजधानी में मंदिरों के पटों को खोलने का ऐलान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल द्वारा कर दिया गया है। उन्होंने साफ कहा कि मंदिर तो खुलेंगे लेकिन दर्शनार्थियों के लिए नहीं बल्कि सिर्फ पुजारियों के लिए। लेकिन इस घोषणा के बाद मंदिर प्रशासन के लोगों में भारी रोष है। उनका कहना है कि जब भक्त ही अपने ईष्ट देवता के दर्शन नहीं कर पाएंगे तो आखिर मंदिरों को खोलने से क्या फायदा। आइए जानते हैं कि क्या कहना है राजधानी के मंदिर प्रशासनों का।

भक्त बिना भगवान का आंगन होगा सूना: महंत सुरेश शर्मा
कनॉट प्लेस स्थित प्राचीन हनुमान मंदिर के महंत सुरेश शर्मा ने कहा कि भक्त यदि भगवान के दर्शन के अभिलाषी हैं तो भक्तों के बिना भगवान का आंगन भी सूना होता है। ऐसे में सरकार को चाहिए कि वो दोबारा मंदिरों में दर्शनों को लेकर विचार करे। पिछली बार भी लॉकडाउन के बाद पूरे सुरक्षात्मक इंतजामों के साथ दिल्ली के सभी मंदिरों को खोला गया था तो इस बार भी खोला जा सकता है।

मंदिर बिल्कुल बंद रखने का लिया है निर्णय : डॉ. किशोर चावला
छत्तरपुर मंदिर के मीडिया प्रभारी डॉ. किशोर चावला ने कहा कि यदि मंदिर खुलेंगे तो भक्त अपने भगवान के दर्शनों के लिए जरूर पहुंचेंगे। ऐसे में यदि हम उन्हें दर्शन नहीं करने देंगे तो उन्हें भी बुरा लगेगा और हमें भी। क्योंकि भक्त और भगवान को दूर नहीं करना चाहिए। इसीलिए हमने निर्णय लिया है कि जब तक भक्तों के दर्शनों के लिए सरकार ऑर्डर जारी नहीं करती, तब तक मंदिर बंद ही रखा जाएगा। झंडेवालान मंदिर के सह प्रभारी करण भाटिया ने कहा कि लॉकडाउन में भी मंदिर में नियमानुसार पूजा व श्रृंगार तो मातारानी का किया ही जा रहा था। 

अव्यावहारिक निर्णय है यह घोषणा: महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत
कालका जी मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने मंदिर में भक्तों को दर्शन के लिए रोके जाने के निर्णय को पूरी तरह से अव्यवहारिक बताया। उन्होंने कहा कि ये उसी तरह है कि बाजार खोल दिए जाएं और कहा जाए कि खरीदार ना जाएं तो व्यापारी भूखे मरेगा। जब मंदिर में भक्त नहीं जाएंगे तो पंडित अपने घर का खर्च कैसे चलाएगा क्योंकि उन्हें तो मौलानाओं की तरह तनख्वाह सरकार नहीं देती है।

Niyati Bhandari

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