घर का माहौल खुशनुमा बनाते हैं दीवारों के चित्र एवं रंग, बढ़ेगी जीवन-ज्योति की अवधि

Friday, Jun 23, 2017 - 03:20 PM (IST)

मानव के जीवन में चित्रों का बहुत बड़ा महत्त्व है। प्राय: लोग अपने घर की दीवारों पर अनेक प्रकार की तस्वीरों को टांगा करते हैं। समुद्री जहाज का चित्र, कश्मीर के प्राकृतिक दृश्यों का चित्र, हंसते हुए बच्चों का चित्र, महापुरुषों का चित्र, देवी-देवताओं के चित्र तथा हीरो-हीरोइनों के चित्रों को ड्राइंग रूम की दीवारों पर टंगा हुआ देखा जा सकता है।


रंग एवं चित्र मानव मस्तिष्क पर अनेक प्रकार के असर छोड़ते हैं। रंगों का उचित तालमेल जहां घर की सुंदरता को बढ़ाता है वहीं जीवन को आनंदित करने वाले भी होता है। कुछ चित्र ऐसे भी होते हैं जो ऋणात्मक प्रभाव को बढ़ाते हैं। रोते हुए बच्चों के चित्र, युद्ध के दृश्यों वाले चित्र, चील-कौए के उड़ते हुए दृश्यों वाले चित्र तथा कुत्तों के चित्र वास्तु-शास्त्र के अनुसार ऋणात्मक तथा अशुभ प्रभाव देने वाले होते हैं।


धनात्मक अच्छे चित्र जहां मानव के मस्तिष्क को एकाग्र करने वाले होते हैं, वहीं ऋणात्मक चित्र व्यक्ति में एकाग्रता एवं शांति में कमी करने वाले होते हैं, ऋणात्मक चित्रों एवं दीवार के रंगों से उस घर में रहने वाले व्यक्ति प्राय: चिड़चिड़े हो जाते हैं तथा उस घर में अशांति का निवास हो जाता है। 


घर का माहौल खुशनुमा रहे, इसके लिए घर की दीवारों का रंग वास्तु विज्ञान के अनुसार होना आवश्यक है, साथ ही दीवारों पर टांगे जाने वाले चित्रों पर भी ध्यान देना आवश्यक है। इनसे संबंधित निम्नांकित बातों का ध्यान रखना चाहिए :


बैठक की दीवारों के रंग के लिए हल्का हरा, हल्का नीला या सफेद रंग ही अच्छा होता है। ये रंग सात्विक होते हैं तथा चित को एकाग्र करके मानसिक प्रदूषण को दूर करने वाले होते हैं।


जिस घर की दीवारों एवं फर्शों का रंग केवल सफेद होता है, उस घर के मनुष्य अत्यधिक भोग-विलास करने वाले होते हैं तथा गृहस्थ जीवन हमेशा संघर्षमय तथा शंकाओं से युक्त होता है अत: छत, दीवार तथा फर्शों के रंगों में भिन्नता अवश्य ही होनी चाहिए।


अपने पूर्वजों की तस्वीरों को दीवार पर दक्षिण-पश्चिम दिशा में ही लगाएं। भवन में लगाए जाने वाले धार्मिक चित्र एक-दूसरे के आमने-सामने नहीं होने चाहिए। 


भवन के मुख्य द्वार पर धार्मिक अथवा मांगलिक चित्र जैसे कलश, स्वस्तिक, गणेश, मछली आदि का चित्र लगाना मंगलकारी होता है।


दीवार पर रामायण, महाभारत से संबंधित युद्ध वाले चित्र, रोते हुए बच्चों की आकृति, राक्षसों वाली भयाकृतियां, गिद्ध, सांप, सूअर, कौआ, उल्लू, गीदड़ या भयानक जंगल, शेर आदि के चित्र नहीं लगाने चाहिए क्योंकि इनसे भय, क्रोध आदि जैसे विकार उत्पन्न होते हैं तथा अशुभ फल देते हैं।


बच्चों के कमरों में महापुरूषों की प्रेरणादायक तस्वीरें, नदी, झरना, खिले फूल एवं देवी-देवताओं के चित्रों को लगाया जाना शुभकारक एवं प्रगतिकारक होता है। भोजन कक्ष में ताजे फल, पौष्टिक भोजनों के चित्र लगाना समृद्धिकारक है।


रसोई घर की दीवारों का रंग हल्का गुलाबी अथवा नारंगी होना चाहिए। ये रंग भूख बढ़ाने वाले तथा पाचन शक्ति को बढ़ाने वाले हैं। हल्का लाल रंग प्यार एवं मिलन सरिता को बढ़ाने वाला, मध्यम लाल रंग स्वास्थ्य एवं जीवन की डोर को लम्बा बनाने वाला, गाढ़ा गुलाबी कोमलता एवं स्वभाव को सरल बनाने वाला है। 


शयन कक्ष की दीवारों का रंग हल्का नीला हो क्योंकि यह रंग अच्छी नींद दिलाने वाला तथा कामशक्ति को बढ़ाने वाला है। मध्यम गुलाबी रंग कोमलता व स्वभाव को सरल बनाने वाला तथा गहरा नारंगी रंग महत्वाकांक्षा को बढ़ाने  वाला होता है।


स्नानघर की दीवारों का रंग हल्का हो। दीवारों पर अनेक प्रकार के पत्थरों का उपयोग उचित नहीं।


दीवारों पर पीला रंग लगाने से स्फूर्ति, वैभव, सम्पन्नता तथा बुद्धि प्राप्त होती है। हरा रंग ताजगी एवं खुलेपन का तथा नीला रंग कोमलता, ईमानदारी एवं शांति का प्रतीक है। भवन में शांति एवं निर्मलता बनाए रखने के लिए पीले रंग का उपयोग ही सबसे अच्छा माना जाता है। इससे जीवन-ज्योति की अवधि बढ़ती है।

Advertising