नाडेश्वरी माता का मंदिर है BSF के जवानों की आस्था का केंद्र

Wednesday, Feb 27, 2019 - 12:34 PM (IST)

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देश में देवी मां के ऐसे कई मंदिर हैं, जहां देवी मां के अनेकों भक्त जाते हैं। परंतु आज हम आपको देवी मां के उन भक्तों से जुड़े मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं, जिनके लिए ये मंदिर उनकी असीम आस्था का केंद्र है। हम बात कर रहे BSF बीएसएफ के जवानों की। जी हां, गुजरात के बनासकांठा नाडेश्वरी के बॉर्डर पर माता का मंदिर  है, जो भारत देश के सरहद पर दिन-रात पहरा देने वाले हमारे देश के जवानों की आस्था के केंद्र है। इस मंदिर के बारे में एक मान्यता है कि 1971 के युद्ध में नाडेश्वरी मां ने भटक चुकी टुकड़ी को सुरक्षित पहुंचाया था। कहा जाता है कि ये मंदिर आम लोगों के साथ-साथ बीएसएफ के BSF जवानों के लिए आस्था का केंद्र है।

कहते हैं कि बनासकांठा बॉर्डर पर जब भी किसी जवान की ड्यूटी लगती है तो वह ड्यूटी पर जान से पहले मंदिर में माथा टेकने ज़रूर आते हैं। इस मंदिर की देवी के बारे में कहा जाता है कि ऐसी मान्यता है कि मां नाडेश्वरी खुद यहां जवानों की जिंदगी की रक्षा करती हैं।

पर्याप्त जानकारी के अनुसार यहां पर पहल कोई मंदिर या धार्मिक स्थल नहीं था। 1971 के युद्ध के बाद उस वक्त के कमान्डेंट द्वारा इस मंदिर का निर्माण करवाया था। बता दें कि इस मंदिर के सबसे खास बात ये है कि परिसर में पुजारी के तौर पर भी एक बीएसएफ BSF  का जवान ही है।

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि बनासकांठा का सुई गांव भारत-पाकिस्तान बॉर्डर पर आखिरी गांव है, जहां देवी की ये मंदिर स्थित है। इस मंदिर से 20 किलोमीटर की दूरी पर पाकिस्तान की सीमा शुरू हो जाती है, यही कारण है यह क्षेत्र हमेशा बीएसएफ के निगरानी में रहता है।

मंदिर के निर्माण को लेकर एक बहुत ही दिलचस्प किस्सा प्रचलित है। इसके अनुसार 1971 में पाकिस्तान के साथ लड़ाई के समय भारतीय सेना की एक टुकड़ी पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गई और रास्ता भटक गई।

इसके बाद कमान्डेंट ने मां नाडेश्वरी से मदद की प्रार्थना की, जिसके बाद खुद मां ने दीये की रोशनी के जरिए भारतीय सेना की टुकड़ी की मदद की और उन्हें वापस अपने बेस कैंप तक सकुशल पहुंचाया था। मान्यता है कि इस दौरान किसी भी जवान को एक खरोंच तक नहीं आई थी।

यहां एक मान्यता ये भी है कि जब तक इस बॉर्डर पर मां नाडेश्वरी देवी विराजमान हैं कभी भी किसी जवान को कुछ नहीं हो सकता।
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Jyoti

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