हिंदू धर्म के इन TEACHERS के बारे में क्या जानते है!

Thursday, Sep 05, 2019 - 03:43 PM (IST)

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आज देश में हर जगह शिक्षक दिवस मनाया जा रहा है। केवल मध्यप्रदेश को छोड़ पूरे देश में टीर्चस डे मनाया रहा है। बता दें यहां मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार ने 6 सितंबर को शिक्षक दिवस मनाने का फैसला किया है। ये पहला मौका है जब मध्य प्रदेश में इतना बड़ा बदलाव किया गया है इसका कारण है शिक्षा मंत्री का विदेश दौरे पर होना। लोक किवंदतियों के अनुसार भारत के प्रथम उपराष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को शिक्षक दिवस के तौर पर मनाया जाता है। मगर गुरु और शिष्य की यह परंपरा कोई आज से नहीं बल्कि प्राचीन काल से चली आ रही है। न केवल भारत के इतिहास में बल्कि हिंदू धर्म के ग्रंथों में भी गुरु का विशेष स्थान है। ने केवल विशेष स्थान बल्कि इनको भगवान से भी पहले पूजा जाता है। तो आइए जानते हैं शिक्षक दिवस के खास मौके पर 10 पौराणिक गुरुओं और उनके शिष्य के बारे में।

महर्षि वेदव्यास
पौराणिक कथाओं के अनुसार महर्षि वेदव्यास को प्रथम गुरु का दर्जा प्राप्त है। इन्हें महर्षि वेदव्यास भगवान विष्णु के अवतार माने जाते थे, जिनका पूरा नाम कृष्णदै्पायन व्यास था। महर्षि के शिष्यों में ऋषि जैमिन, वैशम्पायन, मुनि सुमन्तु, रोमहर्षण आदि शामिल थे।

महर्षि वाल्मीकि
इतना तो सब जानते हैं कि रामायण की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की थी। महर्षि वाल्मीकि कई तरह के अस्त्र-शस्त्रों के आविष्कारक माने जाते हैं। भगवान राम और उनके दोनों पुत्र लव-कुश महर्षि वाल्मीकि के शिष्य थे।

गुरु द्रोणाचार्य
द्रोणाचार्य एक महान धनुर्धर गुरु थे जिनका जन्म द्रोणी यानि एक पात्र में हुआ था और इनके पिता का नाम महर्षि भारद्वाज था और ये देवगुरु बृहस्पति के अंशावतार थे। अर्जुन और एकलव्य ये दोनो श्रेष्ठ शिष्य थे। अपने वरदान की रक्षा करने के लिए इन्होनें एकलव्य से उसका अंगूठा गुरु दक्षिणा के रुप में मांग लिया था।

गुरु विश्वामित्र
भृगु ऋषि के वंशज थे विश्वामित्र के मुख्य शिष्यों थे भगवान राम और लक्ष्मण थे। इन्होंने ने भगवान राम और लक्ष्मण को कई अस्त्र-शस्त्रों का पाठ पढ़ाया

परशुराम
परशुराम जन्म से ब्राह्रमण लेकिन स्वभाव से क्षत्रिय थे उन्होंने अपने माता-पिता के अपमान का बदल लेने के लिए पृथ्वी पर मौजूद समस्त क्षत्रिय राजाओं का सर्वनाश कर डाला था। परशुराम के शिष्यों में भीष्म, द्रोणाचार्य और कर्ण जैसे योद्धा का नाम शामिल है।

दैत्यगुरु शुक्राचार्य
राक्षसों के देवता दैत्यगुरु शुक्राचार्य जिनका असली नाम शुक्र उशनस है। इनको भगवान शिव ने मृत संजीवनी दिया था जिससे कि मरने वाले दानव फिर से जीवित हो जाते थे। गुरु शुक्राचार्य ने दानवों के साथ देव पुत्रों को भी शिक्षा दी। देवगुरु बृहस्पति के पुत्र कच इनके शिष्य थे।

गुरु वशिष्ठ
सप्तऋषियों में से थे गुरु वशिष्ठ। इन्होंने सूर्यवंश के कुलगुरु वशिष्ठ थे जिन्होंने राजा दशरथ को पुत्रेष्टि यज्ञ करने के लिए कहा था जिसके कारण भगवान राम,लक्ष्मण,भरत और शुत्रुघ्न का जन्म हुआ था। इन चारों भाईयो ने इन्ही से शिक्षा- दीक्षा ली थी।

देवगुरु बृहस्पति
देवगुरु बृहस्पति रक्षोघ्र मंत्रों का प्रयोग कर देवताओं का पोषण एवं रक्षा करते हैं तथा दैत्यों से देवताओं की रक्षा करते हैं। युद्ध में जीत के लिए योद्धा लोग इनकी प्रार्थना करते हैं। देवताओं में बृहस्पति को गुरु की पदवी प्रदान की गई है।

गुरु कृपाचार्य
कौरवों और पांडवों के गुरु गुरु थे कृपाचार्य। भीष्म पितामह ने इन्हें पाण्डवों और कौरवों को शिक्षा-दिक्षा देने के लिए नियुक्ति किया था। कृपाचार्य अपने पिता की तरह धनुर्विद्या में निपुण थे।

आदिगुरु शंकराचार्य
जगदगुरु आदि शंकराचार्य हिन्दुओं के धर्म गुरु माने जाते हैं। इनका जन्म केरल राज्य के एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। सात साल की उम्र में इन्होंने वेदों में महारत हासिल कर लिया था।

Jyoti

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