ग्रहण खत्म होते ही इस विधि से करें हनुमान जी की पूजा, अशुभता से मिलेगी मुक्ति

Thursday, Dec 26, 2019 - 11:53 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
जहां एक तरफ़ देशभर में सूर्य ग्रहण के प्रभाव से बचने के लिए अपने-अपने आराध्य का ध्यान कर रहे हैं, तो कुछ गंगा में डुबकी लगा रहे हैं तो वहीं बहुत से लोग ग्रहण के जल्दी खत्म होने का इंतज़ार कर रहे हैं। इसका ये कारण है कि आज तमिल में हनुमान जयंती मनाई जा रही है यानि हनुमान जी का जन्मोत्सव। यूं तो भारत के अन्य राज्यों में ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक हनुमान जयंती हर साल मार्च या अप्रैल महीने में आती है जो इस इस साल 2019 में 19 अप्रैल को मनाई जा चुकी है। कहा जाता है भक्‍त अपनी-अपनी मान्‍यताओं के अनुसार साल में अलग-अलग दिन हनुमान जयंती मनाते हैं हालांकि उत्तर भारत में चैत्र शुक्‍ल पूर्णिमा के दिन मनाई जाने वाली हनुमान जयंती अधिक लोकप्रिय है।

बता दें मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के परम भक्त हनुमान जो असल में भगवान शंकर के रूद्र रूप कहलाते हैं, ने माता अंजना की कोख से जन्म लिया था। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार संकटमोचन हनुमान जी की पूजा से व्यक्ति के सभी तरह के संकट हमेशा हमेशा के लिए दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं कि हनुमान जयंती का महत्व साथ ही साथ जानेंगे सूर्य ग्रहण के खत्म होने के बाद किस विधि से पूजा कर आप पा सकते हैं मंगलकारी परम शक्तिशाली बलशाली बजरंगबली का आशीर्वाद-

हनुमान जयंती की तिथि
हनुमथ जयंती बृहस्पतिवार, दिसम्बर 26, 2019 को
अमावसाई तिथि प्रारम्भ - दिसम्बर 25, 2019 को 11:17 बजे
अमावसाई तिथि समाप्त - दिसम्बर 26, 2019 को 10:43 बजे

हनुमान जयंती का महत्‍व
हिंदू धर्म के भक्तों के लिए हनुमान जयंती का खासा महत्‍व है। यही कारण है भक्त इसलिए पवनपुत्र हनुमान जो को प्रसन्न करने के लिए पूरे दिन व्रत रखते हैं। साथ ही साथ हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं। धार्मिक मान्‍यता है कि इस दिन पांच या 11 बार हनुमान चालीसा का पाठ करने से पवन पुत्र हनुमान प्रसन्‍न होकर भक्‍तों पर कृपा बरसाते हैं। 

कैसे करें पूजा
हनुमान जयंती के दिन प्रातः उठकर स्नान आदि करके श्री राम और सीता तथा हनुमान जी का ध्यान करें। स्‍नान के बाद ध्‍यान करें और व्रत का संकल्‍प लें।

स्‍वच्‍छ वस्‍त्र धारण कर पूर्व दिशा में हनुमान जी की प्रतिमा को स्‍थापित करके 'ॐ श्री हनुमंते नम:' मंत्र का जाप करें। ध्यान रहे हनुमान जी मूर्ति खड़ी अवस्‍था में होनी चाहिए।

अब हनुमान जी को सिंदूर चढ़ाएं, फिर पान का बीड़ा चढ़ाएं।

बता दें इस दिन रामचरितमानस के सुंदर कांड और हनुमान चालीसा का पाठ करने से अनेकों लाभ प्राप्त होते हैं।  

बरतें ये सावधानियां
हनुमान जी की पूजा में शुद्धता का बड़ा महत्‍व है। चूंकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे और स्‍त्रियों के स्‍पर्श से दूर रहते थे। ऐसे में महिलाओं को हनुमान जी के चरणों में दीपक प्रज्‍ज्‍वलित करना चाहिए।

Jyoti

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