300 साल पुराना है विघ्नहर्ता का ये मंदिर

Wednesday, Sep 04, 2019 - 01:52 PM (IST)

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सीहोर (शैलेंद्र विश्वकर्मा):
सीहोर के पश्चमी-उत्तर छोर पर स्थित देश और विदेश में सुविख्यात है प्राचीन सिद्ध विनायक गणेश मंदिर स्थित है। जहां भगवान गणेश विराजमान हैं। बता दें यहां गणेश की बाईं ओर सूंड वाली प्रतिमा स्थापित होने हैं। कहा जाता यहां विराजमान गणेश जी सिद्ध और स्वयंभू कहलातें हैं। पूरा साल देश और प्रदेश के विभिन्न प्रान्तों से आए श्रद्धालु यहां आस्था, श्रद्धा और भक्ति की त्रिवेणी में अपनी अपनी मनौती मांगने आते हैं। यही नहीं यहां की एक अन्य मान्यता के अनुसार भक्त यहां मंदिर के पार्श्व भाग में उल्टा स्वास्तिक बनाकर अपनी विशिष्ट मनौती भगवान के श्री चरणों में लगाना नहीं भूलते।

कहा जाता है स्वयंभू गणेश की सिद्ध प्रतिमाएं देश के चार स्थानों पर विराजमान हैं। जिनमें से एक राजस्थान के सवाईमाधोपुर के रणथम्बौर में, दूसरा उज्जैन के अवन्तिका में, तीसरा गुजरात के सिद्धपुर में और चौथा सीहोर में स्थापित है। कहा जाता है सीहोर के इस प्राचीन सिद्ध विनायक गणेश मंदिर का निर्माण बाजीराव पेशवा ने करवाया था। सीहोर के पश्चिमी-उत्तर छोर पर स्थित यह मंदिर अपनी कलित-कीर्ति के लिए देश और विदेश में सुविख्यात है।

यूं तो रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान श्री गणेश भक्तों की मनोकानमा पूर्ण करने वाले माने जाते हैं लेकिन इस प्राचीन मंदिर में भक्तगण एक अनूठे अंदाज में अपनी मनोकामनाओं के लिए अरदास लगाते हैं। इसके लिए लोग मंदिर के गर्भ गृह के एक दम पीछे पार्श्व भाग में बने एक विशिष्ट स्थान पर सिंदूर से उल्टा स्वस्तिक निशान बनाते हैं। जब उनकी मनोकामना पूर्ण हो जाती है तो वह वापस मंदिर आकर एक सीधा स्वास्तिक चिन्ह बनाते हैं। दरअसल गजकर्ण बड़े होते है और वह जब खुले होते है तो एकदम पीछे जाकर खुलते है इसलिए भक्तगण पीछे जाकर इन कर्ण पर उल्टा स्वास्तिक बनाते है जब भगवान की आंखों के सामने पीछे से गजकर्ण आते है तो उल्टा स्वास्तिक भगवा को सीधा दिखाई पड़ता है। इस प्रकार यह मनोकामना जल्द पूर्ण हो जाती है।

लोगों का मानना यहां आने वाले कोई भी भक्त यहां उल्टा स्वास्तिक बनाना कभी नहीं भूलता है और वह स्वीकारते दिखते हैं कि उनके जीवन में उल्लास के सभी रंग भगवान श्री गणेश की कृपा से ही भरे हैं फिस चाहे विवाह हो, संतान प्राप्ति हो, नौकरी हो, मकान हो या विदेश जाने की इच्छा।

 

Jyoti

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