जब स्वामी विवेकानंद की सीख ने झुकाया अंग्रेज़ों का सिर

Friday, Aug 27, 2021 - 11:21 AM (IST)

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एक बार स्वामी विवेकानंद रेल से कहीं जा रहे थे। वह जिस डिब्बे में सफर कर रहे थे, उसमें कुछ अंग्रेज यात्री भी सवार थे। उन अंग्रेजों को साधुओं से बहुत चिढ़ थी। वे साधुओं की निंदा कर रहे थे। साथ वाले साधु यात्री को भी गाली दे रहे थे। उनकी सोच थी कि चूंकि साधु अंग्रेजी नहीं जानते, इसलिए वे उनकी बातों को नहीं समझ रहे होंगे। हालांकि उन दिनों की हकीकत भी थी कि अंग्रेजी जानने वाले साधु बहुत कम होते थे।

रास्ते में एक बड़ा स्टेशन आया। उस स्टेशन पर विवेकानंद के स्वागत में हजारों लोग उपस्थित थे, जिनमें विद्वान एवं अधिकारी भी थे। लोगों को संबोधित करने के बाद अंग्रेजी में पूछे गए प्रश्रों के उत्तर स्वामी जी अंग्रेजी में ही दे रहे थे। इतनी अच्छी अंग्रेजी बोलते देखकर उन अंग्रेज यात्रियों को सांप सूंघ गया। 

अवसर मिलने पर वे विवेकानंद के पास आए और उनसे नम्रतापूर्वक पूछा, ‘‘आपने हम लोगों की बात सुनी। आपने बुरा माना होगा?’’

स्वामी जी ने सहज भाव से कहा, ‘‘मेरा मस्तिष्क अपने ही कार्यों में इतना अधिक व्यस्त था कि आप लोगों की बात सुनी भी, पर उस बुराई पर ध्यान देने का अवसर ही नहीं मिला।’’ 

स्वामी जी का यह जवाब सुनकर अंग्रेजों का सिर शर्म से झुक गया और उनके चरणों में झुककर उनकी शिष्यता स्वीकार कर ली।

Jyoti

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