Swami Vivekananda: समस्त विश्व ईश्वर से परिपूर्ण है

punjabkesari.in Tuesday, Dec 07, 2021 - 02:29 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ 
ईश्वर की पूजा करना अंतॢनहित आत्मा की उपासना है। धर्म की प्रत्यक्ष अनुभूति हो सकती है। क्या तुम इसके लिए तैयार हो? क्या तुम यह चाहते हो? यदि चाहते हो तो तुम उसे अवश्य प्राप्त कर सकते हो और तभी तुम यथार्थ धार्मिक होंगे। जब तक तुम इसका प्रत्यक्ष अनुभव नहीं कर लेते, तुम में और नास्तिकों में कोई अंतर नहीं। नास्तिक ईमानदार है पर वह मनुष्य जो कहता है कि वह धर्म में विश्वास करता है पर कभी उसे प्रत्यक्ष करने का प्रयत्न नहीं करता, ईमानदार नहीं है।

मैं अभी तक के सभी धर्मों को स्वीकार करता हूं और उन सबकी पूजा करता हूं। मैं उनमें से प्रत्येक के साथ ईश्वर की उपासना करता हूं, वे स्वयं चाहे किसी भी रूप में उपासना करते हों। मैं मुसलमानों की मस्जिद में जाऊंगा, मैं इसाइयों के गिरजाघर में क्रास के सामने घुटने टेक कर प्रार्थना करूंगा, मैं बौद्ध मंदिरों में जाकर बुद्ध और उनकी शिक्षा की शरण लूंगा, मैं जंगल में जाकर हिन्दुओं के साथ ध्यान करूंगा, जो हृदयस्थ ज्योति स्वरूप परमात्मा को प्रत्यक्ष करने में प्रयत्नशील हैं।

अभ्यास अति आवश्यक है। तुम प्रतिदिन घंटों बैठकर मेरा उपदेश सुनते रहे पर यदि तुम उसका अभ्यास नहीं करते तो एक पग भी आगे नहीं बढ़ सकते। यह सब तो अभ्यास पर ही निर्भर है। जब तक हम इन बातों का अनुभव नहीं करते तब तक इन्हें नहीं समझ सकते। हमें इन्हें देखना और अनुभव करना पड़ेगा। सिद्धांतों और उनकी व्याख्याओं को केवल सुनने से कुछ प्राप्त न होगा। धर्म मतवाद या बौद्धिक तर्क में नहीं है वरन आत्मा की ब्रह्मस्वरूपता को जान लेना उसके अनुरूप हो जाना और उसका साक्षात्कार, यही धर्म है।

ईसा के इन शब्दों को स्मरण रखें, ‘मांगो वह तुम्हें मिलेगा, ढूंढो तुम उसे पाओगे, खटखटाओ और वह तुम्हारे लिए खुल जाएगा।’’  ये शब्द पूर्ण रूप से सत्य हैं, न आलंकारिक हैं न ही काल्पनिक।

ब्रह्म प्रकृति पर विजय प्राप्त करना बहुत अच्छी और बहुत बड़ी बात है पर अंत: प्रकृति को जीत लेना उससे भी बड़ी बात है। अपने भीतर के मनुष्य को वश में कर लो, मानव मन के सूक्ष्म कार्यों के रहस्य को समझ लो और उसके आश्चर्यजनक गुप्त भेद को अच्छी तरह जान लो। ये बातें धर्म के साथ अभेद्य भाव से संबद्ध हैं। जीवन और मृत्यु में सुख और दुख में ईश्वर समान रूप से विद्यमान है। समस्त विश्व ईश्वर से पूर्ण है। अपने नेत्र खोलो और उसे देखो।


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Content Writer

Jyoti

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