सूर्य षष्ठी व्रत: लाल रंग से है सूर्य देव का गहरा Connection, जानें इस दिन का महत्व

Wednesday, Sep 04, 2019 - 12:42 PM (IST)

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आज भाद्रपद शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के उपलक्ष्य में सूर्य षष्ठी व्रत मनाया जाएगा। मान्यताओं के अनुसार इसे ललिता षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। इस व्रत के नाम से नाम से ही स्पष्ट है कि इस दिन भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान होता है। हिंदू धर्म के पुराणों व ग्रंथों में इस व्रत का जिक्र मिलता है। जिससे इस व्रत की महत्वता का पता चलता है। ज्योतिष के अनुसार इस दिन सूर्य देव की आराधना करने से तेज में वृद्धि होती है। इसके अलावा इस दिन गंगा स्नान का भी अधिक महत्व है।

यहां जानें सूर्य षष्ठी व्रत से जुड़ी बातें- 
सूर्य षष्ठी व्रत भाद्रपद माह की शुक्ल पक्ष में षष्ठी तिथि को रखा जाता है। ज्योतिष विद्वानों के मुताबिक व्रती को एक दिन पूर्व से सामान्य भोजन करना चाहिए। फिर व्रत वाले दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर सूर्य देव को शुद्ध मन से जल समर्पित करें। जिसके बाद व्रत आरंभ होता है।

सुबह सूर्य को अर्ध्य देने के अलावा धूप, दीप, कपूर, लाल पुष्प आदि से उनका पूजन करना चाहिए। इसके अलावा पुराणों में सात प्रकार के फलों, चावल, तिल, दूर्वा, चंदन आदि को जल में मिलाकर उगते हुए सूर्य को जल देने का भी प्रावधान बताया है। सूर्य को अर्घ्य देने के बाद सूर्य मंत्र का जाप 108 बार करना चाहिए।

क्या है सूर्य उपासना का मंत्र-
भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देते समय इस मंत्र का जाप करना चाहिए।
ॐ घृणि सूर्याय नम:
ॐ सूर्याय नम:

सूर्य देव का लाल रंग से संबंध-
मान्यताओं के अनुसार सूर्य देव को लाल रंग से खास स्नेह है। इसलिए कहा जाता है कि अगर व्रत करने वाला जातक सूर्य देव को लाल रंग का पुष्प अर्पित करता है या गरीबों में इस दिन लाल वस्त्र आदि दान करता है तो भगवान इससे प्रसन्न होते हैं।

 

Jyoti

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