परसा धाम सूर्य मंदिर में भगवान सूर्य की अलौकिक प्रतिमा, ज़रूर करें दर्शन

Wednesday, Nov 18, 2020 - 03:10 PM (IST)

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हमारे देश में बहुत से त्यौहार मनाए जाते हैं जिनका अपना अलग महत्व होता है। इन्हीं में से एक है छठ पर्व, जो मुख्य रूप से सूर्य उपासना का पर्व माना जाता है। तो वहीं इस दिन छठी मैया का पूजन-अर्चन भी किया जाता है। मुख्य रूप से यह त्यौहार बिहार, झारखण्ड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। सनातन धर्म में सूर्य देव की आराधना अधिक लाभकारी बताई गई है। इनकी पूजा से कई तरह के लाभ प्राप्त होते हैं। तो आइए इसी खास मौके पर आपको बताते हैं कि बिहार के मधुबनी में झंझारपुर प्रखंड में स्थित परसाधाम सूर्य मंदिर के बारे में, जहां छठ पर्व के अवसर पर विशेष प्रकार से सूर्य देव की आराधना की जाने की परंपरा है। 

यहां के निवासियों द्वारा बताया जाता है कि मंदिर के बगल के पोखरा कमेटी द्वारा इस दौरान मंदिर की साफ-सफाई कर इसे पर्व के अनुकूल सजाया जाता है, फिर अर्घ्य की व्यवस्था की जाती है। इसके अलावा इस सूर्य मंदिर पर मार्तण्ड महोत्सव भी मनाया जाता है। 

इस मंदिर की प्रसिद्धि की बात करें तो न केवल बिहार में बल्कि देशभर में ये मंदिर काफी प्रचलित है। इतना ही नहीं इस मंदिर को सरकारी स्तर पर मान्यता मिल चुकी है। कई वर्षों से यहां बिहार सरकार पर्यटन विभाग कई वर्षों से यहां मार्तण्ड महोत्सव मना रहा है। मंदिर में स्थित प्रतिमा की बात करें तो कहा जाता है जिले के झंझारपुर अनुमंडल मुख्यालय से लगभग 12 कि.मी पूरब एन एच 57 से 1किलोमीटर दक्षिण में परसाधाम गांव स्थित इस मंदिर में 11 फरवरी 1983 को शिवरात्रि के दिन भगवान भास्कर की प्रतिमा मिट्टी के अंदर से स्वयं प्रकट हुई थी। जिसके बाद यहां लोगों की भीड़ जुटने गई और आस पड़ोस के गांव के लोग वहां पहुंचने लगे और भगवान भास्कर की पूजा शुरू हो गई। 


क्या है प्रतिमा की खासियत- 
इस मंदिर में स्थापित भगवान भास्कर यानि सूर्य देव की प्रतिमा अत्यन्त सुन्दर है। इस प्रतिमा में सूर्य देव सात अश्व के रथ पर विराजमान हैं। तो वहीं रथ पर सारथी के रूप में भगवान अरूण भी इनके साथ विराजित हैं। 

सूर्यदेव के रथ के नीचे एक अन्य रथ पर भगवान गणेश की मूर्ति अंकित है। 

लगभग 4 फीट के काला शीला खण्ड पर बसाल्ट पत्थर से निर्मित भगवान सूर्यदेव के माथे पर टोपीनुमा मुकुट, पांव में कुशानकालीन जूता सुशोभित हैं। भगवान के दोनों हाथ में ''सनाल कमल'' तथा शरीर पर यज्ञोपवीत है। कमर में लटकती तलवार और पांव में जूता इरानी कला से ओत प्रोत लगता है तथा यह प्रतिमा इशापूर्व शताब्दी की लगती है। 

सूर्य देव की इस प्रतिमा के एक तरफ वरूण देव व उनकी पत्नी तथा दूसरे तरफ कुवेर एवं उनकी पत्नी की प्रतिमा अंकित है। 


प्रतिमा में काले सर्प को हंस अपने मुंह में पकड़े हुए हैं। इसकेअलावा घोड़ा पर सवार घुड़सवार हाथी को अपने वश में किए हुए है जो अत्यंत मनमोहक दिखता है।

Jyoti

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