सूर्य ने पुनर्वसु नक्षत्र में आते ही मचाया धमाल, 6 राशियां रहें सावधान !

Thursday, Jul 09, 2020 - 07:00 AM (IST)

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Surya in punarvasu nakshatra: जुलाई का महीना ग्रह-नक्षत्रों की दृष्टि से कई योग और संयोग बना रहा है। अभी 5 जुलाई को गुरु पूर्णिमा के दिन धनु राशि में चंद्र ग्रहण लगा। 6 जुलाई को सावन का महीना शुरू हुआ और इसी दिन सूर्य ने भी पुनर्वसु नक्षत्र में प्रवेश करके षडाष्टक योग नामक एक ऐसा योग बना दिया, जिसे ज्योतिष की दृष्टि से शुभ योग नहीं माना जाता और ऐसे योग की गणना ज्योतिष में अशुभ योगों में होती है। यह योग कब और कैसे बनता है और इसका लोगों की जिंदगी पर क्या असर पड़ता है, इस पोस्ट में इसके बारे में आपको बताऊंगा। सबसे पहले आपको यह बताऊंगा कि 6 जुलाई को सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में आए हैं तो यह कैसा नक्षत्र है और ज्योतिष में इस नक्षत्र का क्या स्थान है।

कुल 27 नक्षत्र होते हैं और पुनर्वसु नक्षत्र का इन 27 नक्षत्रों में सातवां स्थान है। इस नक्षत्र पर देव गुरु का प्रभाव होता है और ऐसी मान्यता भी है कि जिसका जन्म पुनर्वसु नक्षत्र में होता है , उसमें कुछ देवी शक्तियां भी होती हैं और उसे ईश्वर की कृपा का विशेष लाभ मिलता है। इस पुनर्वसु नक्षत्र के पहले तीन चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं तथा चौथा चरण कर्क राशि में होता है, जिसकी वजह से इस नक्षत्र पर मिथुन राशि के स्वामी बुध और कर्क राशि के स्वामी चंद्रमा का भी प्रभाव पड़ता है। 

अब आपको सहज ही जिज्ञासा होगी कि जब यह नक्षत्र शुभ है, तब सूर्य के इस नक्षत्र में आने से अशुभ योग कैसे बन रहा है। जब गोचर में दो ग्रह 150 डिग्री के अंतर पर हो या एक दूसरे से छठे या 8 वें स्थान में हों तो षडाष्टक नामक दोष या योग बनता है,  जिसे ज्योतिष में बहुत ही अशुभ व कष्‍टकारी योग माना जाता है।

6 जुलाई को सूर्य पुनर्वसु नक्षत्र में आए हैं। इससे पहले वे 22 जून से आद्रा नक्षत्र में थे। सूर्य आद्रा नक्षत्र में आए हैं तो मिथुन राशि में राहु के साथ युति बना रहे हैं और साथ ही शनि के साथ षडाष्टक योग बना रहे हैं। यह योग बिल्कुल भी शुभ नहीं है इसलिए समय थोड़ा सावधान रहने का भी है। सूर्य व शनि के बीच षडाष्टक योग बनने से प्राकृतिक आपदाओं में वृद्धि हो सकती है। बाढ़, भूकंप और महामारी जैसी आपदाएं परेशान कर सकती हैं। कुछ देशों में तनाव चरम पर भी पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, सभी 12 राशियां इस योग से प्रभावित होने जा रही हैं।

सभी राशियों पर इसका क्या असर होगा, यह बताने से पहले पंजाब केसरी के पाठकों को बताना चाहेंगे की सूर्य और शनि के बीच आपसी संबंध कैसे हैं ?

शनि देव, भगवान सूर्य के पुत्र हैं लेकिन दोनों का आपस में वैर भाव है। यही वजह है कि जब किसी व्यक्ति की कुंडली में सूर्य व शनि किसी एक भाग में इकट्ठे बैठे हों तो पिता और पुत्र के बीच संबंध ठीक नहीं रहते और इन दोनों ग्रहों का कंबीनेशन जीवन को बहुत संघर्षपूर्ण बना देता है। ज्योतिष में सूर्य और शनि के बीच आपसी विरोध का अनुमान इसी बात से लगाया जा सकता है कि जिस राशि में सूर्य उच्च के होते हैं, शनि वहां नीच के हो जाते हैं और शनि जिस राशि में उच्च के होते हैं, वहां सूर्य नीच के हो जाते हैं। शनि तुला राशि में उच्च के होते हैं और मेष राशि में नीच के जबकि सूर्य मेष राशि में उच्च के होते हैं और तुला राशि में नीच के। 

अब सूर्य व शनि के बीच जो षडाष्टक योग बना है , वह 15 जुलाई तक रहेगा और 6 राशियों के लिए तो बिल्कुल अच्छा नहीं कहा जा सकता। इन 6 राशि वालों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं । यह 6 राशियां है - वृषभ राशि , कन्या राशि,  वृश्चिक राशि,  धनु राशि,  कुंभ राशि और मीन राशि। इन्हें सेहत संबंधी परेशानी भी हो सकती है। बेवजह का विवाद भी हो सकता है। धन हानि भी हो सकती है। व्यापार में घाटा भी पड़ सकता है। कर्ज उठाने की नौबत भी आ सकती है। मानसिक तनाव भी बढ़ सकता है। करीबी संबंधियों के साथ रिश्तों में भी थोड़ी तल्खी आ सकती है। इन सभी 6 राशि के लोगों को उतावलेपन से बचना चाहिए और किसी महत्वपूर्ण दस्तावेज पर हस्ताक्षर सोच-समझकर ही करने चाहिए।

जहां 6 राशि के जातकों के लिए वक्त सावधान रहने का है , वहीं 3 राशियों के लिए तो यह योग अच्छी खबर लेकर आया है। यह भाग्यशाली राशियां है-  मेष , मिथुन और सिंह। इन तीनों राशि के जातकों की किस्मत उनका साथ देने वाली है। सेहत और आर्थिक दृष्टि से भी समय उनके लिए बढ़िया रहेगा। जो नौकरी पेशा है उन्हें तरक्की मिल सकती है और जो बिजनेस कर रहे हैं , उन्हें अच्छा लाभ हो सकता है। 

अब बाकी बची 3 राशियां- कर्क राशि, तुला राशि और मकर राशि। इन तीनों राशियों के लोग निश्चिंत रहें। उनके लिए समय न तो बढ़िया है और न ही सावधान रहने का। इन्हें मिले-जुले फल मिलेंगे।


 
षडाष्टक योग 15 जुलाई तक रहने वाला है। जिन 6 राशियों यानि वृषभ राशि, कन्या राशि, वृश्चिक राशि, धनु राशि, कुंभ राशि और मीन राशि के लिए यह योग अशुभ है, उन्हें चाहिए कि रोज सुबह सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। 

तांबे के बर्तन में गेहूं भरकर दान करें। 

शनिवार को तेल का दान करें। 

शनिवार को पीपल की सात परिक्रमा करें। 

हनुमान जी की पूजा से सूर्य और शनि दोनों के दोष दूर हो सकते हैं। 

सूर्य और शनि दोनों के मंत्रों का जप करें। 

सूर्य मंत्र- ओम सूर्याय नमः

शनि मंत्र- ओम शं शनिश्चराय नमः 

इन मंत्रों का जाप करने से इस योग का बुरा प्रभाव दूर होगा। 

रोज शाम को तुलसी के नीचे घी का दीपक जलाएं और नम: शिवाय का नियमित जप करें। 

ऐसा करने से इस योग के अशुभ प्रभावों से आप काफी हद तक बचे रह सकते हैं।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

 

 

Niyati Bhandari

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