21 जून को सूर्य आएंगे आद्रा नक्षत्र में, इन राशियों पर होगा असर

Wednesday, Jun 03, 2020 - 07:33 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Surya in ardra nakshatra: ज्योतिष और भारतीय संस्कृति में सूर्य का आद्रा नक्षत्र में प्रवेश बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। सूर्य ऊर्जा के प्रतीक हैं। आरोग्य के कारक हैं। प्रकाश का पर्याय हैं और जीवन में उम्मीद के संवाहक हैं। सूर्य को संसार की आत्मा कहा जाता है और यह प्रकृति का केंद्र हैं। धरती को अगर माता कहा जाता है तो सूर्य को पिता का दर्जा प्राप्त है।


ज्योतिष में सूर्य के राशि बदलने और नक्षत्र बदलने पर खास ध्यान दिया जाता है और इस आधार पर ज्योतिर्विद् स्थितियों का आकलन भी करते हैं, भविष्यवाणी भी करते हैं और इसका धार्मिक महत्व भी होता है। सूर्य साल में सभी राशियों और नक्षत्रों से होकर गुजरते हैं लेकिन आद्रा नक्षत्र में उनका प्रवेश बहुत अहम होता है। उस दिन भगवान शंकर और विष्णु की पूजा की जाती है । उन्हें खीर- पूरी और आम का भोग लगाया जाता है।

सूर्य जब आर्द्रा नक्षत्र पर होता है, तब पृथ्वी रजस्वला होती है और इसी पुनीत काल में कामाख्या तीर्थ में अंबुवाची पर्व का आयोजन किया जाता है। यह नक्षत्र उत्तर दिशा का स्वामी है और इस नक्षत्र के स्वामी राहु हैं।


मैं यह बताना चाहूंगा कि हमारे आकाश मंडल में ब्रह्मांड में 27 नक्षत्र हैं। आद्रा नक्षत्र को छठा नक्षत्र माना जाता है। यह मृगशिरा और पुनर्वसु नक्षत्र के बीच में है। हमारे शास्त्रों में और खासकर वामन पुराण में यह कहा गया है कि आद्रा नक्षत्र का भगवान विष्णु के केशों में निवास है और इस नक्षत्र को जीवनदायी कहा जाता है। जब सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करते हैं तो संपूर्ण उत्तरी भारत के राज्यों में खीर और आम खाने की परंपरा है। लोग इसे बहुत शुभ मानते हैं। पाप ग्रह राहु के आदर नक्षत्र में आने को जहां महामारियों और अनिष्ट का कारक माना जाता है, वहीं सूर्य के इस नक्षत्र में आने को शुभ माना जाता है।


आद्रा का अर्थ होता है- नमी। सूर्य आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करता है तो धरती रजस्वला होती है, जो उत्तम वर्षा का प्रतीक है। अमूमन जून माह के तीसरे सप्ताह में आद्रा नक्षत्र का उदय होता है। तब प्रचंड गर्मी से लोगों को राहत मिलने की संभावना बनने लगती है । मौसम में परिवर्तन नजर आने लगता है । पुरवाई हवा के साथ मौसम में उमस और थोड़ी नमी महसूस होने लगती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार साल में 6 महीने सूर्य उत्तरायण और 6 महीने दक्षिणायन में रहते हैं। सूर्य का दक्षिणायन में आना वर्षा ऋतु का भी शुभारंभ माना जाता है और आद्रा नक्षत्र में सूर्य का प्रवेश वर्षा कारक योग का निर्माण करता है। किसानों को भी सूर्य के आद्रा नक्षत्र में प्रवेश का बड़ी शिद्दत से इंतजार रहता है।


इस बार 21 जून को रात 11:28 पर सूर्य देव ज्येष्ठ मास की शुक्ल प्रतिपदा तिथि को आद्रा नक्षत्र में प्रवेश करेंगे। इस बार उनका आद्रा नक्षत्र में प्रवेश ऐसे संयोग में हो रहा है, जब तीन शुभ ग्रह - गुरु, शुक्र और बुध वक्री होकर अच्छी बारिश का संकेत दे रहे हैं और 3 ग्रह शनि राहु व केतु भी वक्री अवस्था में प्राकृतिक आपदाओं में बढ़ोतरी का दुर्योग बना रहे हैं। 6 ग्रहों की वक्री चाल के बीच सूर्यदेव आद्रा नक्षत्र में प्रवेश कर रहे हैं।

खास बात यह भी है कि एक तरफ जहां 6 ग्रह वक्री होंगे, वही ग्रहों में सेनापति का दर्जा प्राप्त मंगल जलीय राशि मीन में बैठकर सूर्य, चंद्रमा बुध व राहु को देख रहे होंगे। यह जो युति है, यह समंदर में चक्रवात, तूफान, बाढ़, अत्यधिक बारिश व भूस्खलन के आसार भी बना रही है।


मेदिनीय ज्योतिष में मानसून व वर्षा के लिए सूर्य का आर्द्रा नक्षत्र में प्रवेश का बहुत महत्व है।  सूर्य के आर्द्रा प्रवेश के समय लग्न कुंडली, तिथि, वार, नक्षत्र, योग, करण के प्रभाव के द्वारा आने वाले मानसून के बारे में आकलन किया जाता है।

सूर्य के आद्रा नक्षत्र में आने से सभी 12 राशियों पर प्रभाव पड़ेगा । मेष, कन्या व मकर के लिए उनका आद्रा नक्षत्र में आना शुभ रहेगा। वृषभ, कन्या व कर्क राशि वालों को धन हानि के प्रति सचेत रहना होगा जबकि वृश्चिक राशि वालों के लिए समय थोड़ा कष्टकारी रहेगा। अन्य सभी राशि वालों को मिले जुले परिणाम मिलेंगे।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

Niyati Bhandari

Advertising