न केवल हिंदू बल्कि अन्य धर्म भी हैं सूर्य देव के मुरीद

Thursday, Sep 10, 2020 - 10:05 AM (IST)

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Surya dev in mythology: प्राचीन भारत के स्वर्णिम युग का एक सुनहरा अध्याय है योगाभ्यास। तन और मन को स्वस्थ बनाने की इस अनुपम योग विद्या का प्रमुख अंग है सूर्य नमस्कार। सूर्य नमस्कार मनुष्य को बुद्धिमान, धैर्यवान, बलवान बनाने के साथ ही उसकी एकाग्रता, आत्मविश्वास एवं मेधा शक्ति को बढ़ाता है। सूर्य नमस्कार यानी आरोग्य का वरदान। यह संजीवनी की तरह दिव्य औषधि है, जो मनुष्य के व्यक्तित्व को आकर्षक बनाती है, उत्साह और स्फूर्ति उत्पन्न करते हुए उसकी कार्यक्षमताओं में वृद्धि करती है। सूर्य नमस्कार कोई धार्मिक अनुष्ठान न होकर व्यायामों और आसनों की शृंखला है।


ईसाई धर्म में न्यू टैस्टामैंट में सूर्य के धार्मिक महत्व का विशद् वर्णन है। सेंट पाल ने इसीलिए रविवार का दिन पवित्र घोषित कर इस दिन प्रभु की आराधना, दान दिए जाने आदि को अत्यंत पुण्यदायी माना है। ग्रीक और रोमन विद्वानों ने भी इसी दिन को पूजा का दिन स्वीकार किया। इस्लाम में सूर्य को ‘इल्म अहकाम अननजू’ का केंद्र माना गया है अर्थात सूर्य इच्छा शक्ति बढ़ाने वाली चैतन्य सत्ता का प्रतीक है। अमरीका के रैड इंडियनों द्वारा आबाद क्षेत्रों में सूर्य मंदिर प्रचुर संख्या में पाए गए हैं। इसी तरह कई प्रकार की सूर्य गाथाएं हवाई द्वीप जापा, अमरीका तथा कैरेबियन द्वीपों में प्रचलित हैं, जो बताती हैं कि सूर्य सबका उपास्य रहा है। चीन में सूर्य को ‘यांग’ तथा चंद्रमा को ‘पिन’ मानते हैं तथा इनकी प्रतिनिधि धाराएं इड़ा-पिंगला के रूप में शरीर में सव्याप्त मानते हैं।


जापान सूर्य पूजक राष्ट्र है। प्रख्यात मनीषी ए.बी. कीथ एवं दार्शनिक गेलस के अनुसार ग्रीक दर्शन में सूर्योपासना अत्यंत प्राचीन है। ग्रीक दार्शनिक एम्पेडीलस कहते हैं कि सूर्य ही इस संसार का सृष्ट है। ग्रीस में आज भी शादी-विवाह में सूर्य मंत्र पढ़ा जाता है। बिहार तथा अन्य प्रांतों में भी छठ पूजा को प्रतिष्ठा प्राप्त है, जो वास्तव में सूर्य पूजा है। मकर संक्रांति भी सूर्य आराधना का पर्व है। सम्राट अकबर ने सूर्य की ऊर्जा के प्रताप का साक्षात अनुभव किया था। इतिहास वेत्ताओं के अनुसार अकबर स्वयं सूर्य उपासक थे। वह नित्य सूर्याभिमुख होकर सूर्य सहस्रनाम का पाठ करते थे और पूजन करते थे। यूनान के सम्राट सिकंदर भी सूर्य के उपासक थे।

Niyati Bhandari

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