प्रातः सूर्य देवता को देते हैं जल तो आप के लिए ये जानना है बेहद ज़रूरी

Wednesday, Sep 16, 2020 - 07:10 PM (IST)

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यूं तो सूर्य देवता की पूजा के लिए रविवार का दिन सबसे अत्यंत फलदायी माना जाता है। मगर इसके अलावा ये भी कहा जाता है कि नियमित रूप से इन्हें जल चढ़ाना भी अधिक फलदायी होता है। कहा जाता है जो जातक सूर्य देव की अराधना से अपने दिन की शुरूआत करता है उसके अंदर सकारात्मक उर्जा भरपूर रहती है, जिसकी मदद से वो प्रत्येक कार्य अच्छे से पूर्ण कर पाता है। मगर कुछ ऐसे भी लोग होते हैं जिन्हें ये नहीं पता होता कि इस दौरान सूर्य देवता की उपासना किन मंत्रों का जप कर करनी चाहिए। तो आपको बता दें ज्योतिष शास्त्र में ऐसे लोगों के लिए भी खास जानकारी दी गई है। जी हां, कहा जाता है कि इसमें सूर्य देवता के ऐसे 12 नाम बताए गए हैं जिनका जप करने से कुंडली में कमज़ोर सूर्य की स्थिति मज़बूत होती है। तो अगर आपकी कुंडली में सूर्य की दशा-दिशा कमज़ोर हैं तो चलिए हम आपको बताते हैं कि कौन से भगवान सूर्य के ये 12 नाम- 

आदित्य- कथाओं के अनुसार भगवान सूर्य, ऋषि कश्यप और अदिति के पुत्र होने कारण, माता अदिति के नाम पर इनका नाम सूर्य रखा गया है। बता दें अदिति से अर्थ है, जो राग-द्वेष से ऊपर हो और जिस पर किसी का वश न चलता हो।

दिनकर- दिन की शुरुआत सूर्य से होने के कारण इन्हें दिनकर भी कहा जाता है।

दिवाकर- रात व अंधकार को ख़त्म करने वाले को दिवाकर कहा जाता है।

भानू- भानू नाम का मतलब उस अलौकिक तेज से होता है जिसका लाभ हर एक को मिलता हो।

रवि- ऐसा मान्यताएं प्रचलित हैं कि ब्रह्माण्ड की शुरुआत जिस दिन हुई थी उस दिन रविवार था। यही कारण है कि हफ्ते की शुरुआत भी रविवार से ही होती है और भगवान सूर्य को रवि नाम से भी जाना जाता है।

प्रभाकर- धार्मिक ग्रंथों के अनुसार प्रातःकाल वह समय होता है जब सूर्य संसार में विद्यमान होते हैं, जिस कारण इन्हें प्रभाकर कहते हैं। 

रश्मि मते- इसमें दो शब्दों का अर्थ है- जिसमें रश्मि का अर्थ प्रकाश से है और मते का अर्थ पुंज से है। जिसका अर्थात ये हुआ कि जिसके अंदर हजारों की संख्या में प्रकाश पुंज हो उसे सूर्य कहा जाता है।

भुवनेश्वर- पृथ्वी पर राज करने वाला भुवनेश्वर कहलाता है, तो वहीं कहा यह भी जाता है पृथ्वी भी तो सूर्य का ही एक ग्रह ही है।

सविता- संसार में प्रकाश को पैदा करने वाले को सविता कहा जाता है।  

सूर्य- सूर्य का अर्थ होता है भ्रमण करने वाला। भगवान सूर्य पूरे संसार में भ्रमण करते हैं जिस कारण उन्हें सूर्य कहा गया है। 

सप्तसती- चूंकि सूर्य देव सात घोड़ों के रथ की सवारी करते हैं। इसलिए इनका एक नाम सप्तसती भी रखा है।

आदिदेव- वेदों की मानें तो पूरे ब्रह्माण्ड की शुरुआत चैत्र मास के शुक्ल पक्ष में रविवार के दिन हुई जिससे इनका एक नाम आदिदेव भी पड़ गया। 

Jyoti

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