महान होते हैं ऐसे लोग, आप किस श्रेणी में आते हैं

Saturday, Jul 22, 2017 - 01:39 PM (IST)

एक संत यात्रा पर निकले। कई दिनों तक चलने के बाद एक गांव आया जहां उन्होंने विश्राम करने की सोची। उन्होंने अपने शिष्य से गांव में खबर भिजवाई कि वह किसी सज्जन परिवार के घर भोजन करेंगे। संत को छुआछूत में विश्वास था।


शिष्य यह संदेश लेकर गांव के हर एक घर के दरवाजे को खटखटाता है और कहता है-हे सज्जन, मेरे गुरुवर आज इसी गांव में ठहरे हैं और उनका यह व्रत है कि वह किसी सज्जन, शुद्ध आचरण वाले व्यक्ति के घर का ही भोजन ग्रहण करेंगे। क्या आप उन्हें भोजन करवाएंगे?


इस पर उस गांववासी ने विनम्रता से हाथ जोड़कर कहा, हे बंधु, मैं नराधम हूं। मेरे अलावा इस गांव में सभी वैष्णव हैं, फिर भी अगर आपके गुरु मेरे घर आश्रय लें तो मैं खुद को भाग्यशाली मानूंगा।

 
शिष्य गांव के हर एक घर गया पर सभी ने खुद को अधम और दूसरों को सज्जन कहा। शिष्य ने गुरु के पास जाकर पूर्ण विस्तार से पूरी घटना सुनाई। यह सुन गुरु गांव में आए। उन्होंने सभी से क्षमा मांगी और कहा, आप सभी सज्जन हैं, अधम तो मैं खुद हूं जो ईश्वर के बनाए इंसानों में भेद कर रहा हूं। आज आप सभी के साथ रुकना मेरे लिए सौभाग्य होगा, इससे मेरा अंत:करण शुद्ध होगा। 


कहानी की शिक्षा यह है कि इंसान भगवान के बनाए हैं, इनमें कोई भेद नहीं होता। यह भेद देखने वाले की दृष्टि में होता है। यह संसार भगवान की देन है, इसमें ऊंचा-नीचा देखने वाले ही छोटी सोच के लोग हैं। 


अपने आपको इस तरह के अज्ञान से दूर करें। जब भी अपनी गलती का एहसास हो, उसे सुधारें जैसे कहानी में संत ने किया। गलती सभी से होती है पर उसे स्वीकार कर ठीक करने वाला महान होता है। 

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