Success Mantra: आत्मविश्वास की कमी दूर करता है ये खेल

Friday, Dec 09, 2022 - 10:22 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

How to Increase Self Confidence: भारत में क्रिकेट के खेल को एक धर्म की तरह माना जाता है, जिसका प्रमाण किसी महत्वपूर्ण मैच के दौरान खाली रास्तों और हर घर में टी.वी. एवं रेडियो से चिपक कर बैठे हुए लोगों से हमें स्पष्ट तौर पर देखने को मिलता है। क्रिकेट के प्रति भारतवासियों में जो समर्पण और उन्माद दिखता है, वह किसी भक्ति या धर्मोन्माद से कम नहीं। इसमें दो राय नहीं कि भारत का हर दूसरा नागरिक बचपन से ही गिल्ली-डंडे के साथ-साथ बल्ले और गेंद के इस अद्भुत खेल को खेलकर ही बड़ा हुआ है, इसीलिए तो भारत को ‘क्रिकेट क्रेजी राष्ट्र’ कहा जाता है।  मगर क्या हमने कभी क्रिकेट और हमारे वास्तविक जीवन के बीच की समानता के बारे में गौर से सोचा है ? शायद नहीं ! क्योंकि हममें से अधिकांश लोगों के लिए हमारा जीवन क्रिकेट की तरह रोमांचक नहीं है, है कि नहीं ? 

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यह तो हम सभी जानते ही हैं कि प्रत्येक दर्शक, चाहे वह स्टेडियम में बैठ कर मैच देख रहा हो या टी.वी. पर, उसे हर पल यही इंतजार रहता है कि कब क्रीज पर खड़ा बल्लेबाज छक्का या चौका लगाएगा। हर बार जब छक्का या चौका लगता है, तब स्टेडियम में एकत्रित दर्शकगण एवं हर घर में टी.वी. के सामने बैठे दर्शक बड़े उन्माद में आकर कूद कर और चिल्लाकर अपनी खुशी व्यक्त करने लगते हैं। 
लेकिन, हम यह भी जानते हैं कि छक्का या चौका लगाना हर बल्लेबाज के वश की बात नहीं, क्योंकि उसके लिए असाधारण कौशल के साथ ही एक केंद्रित मन की आवश्यकता है, जो कुछ चुनिंदा लोगों के पास ही होता है। 

How do you inspire confidence: इसी प्रकार, कई बार हमने यह भी देखा है कि ऐन मौके पर जब एक भरोसेमंद खिलाड़ी मूर्खतापूर्ण शॉट खेलकर आऊट हो जाता है, तब करोड़ों लोगों की धड़कनें कुछ पलों के लिए थम जाती हैं। अब चलिए थोड़ा अपने वास्तविक जीवन की ओर नजर डालते हैं, जहां हमें कई ऐसे लोग देखने को मिलते हैं, जो हमेशा घबराए हुए रहते हैं और हर परिस्थिति में बैकफुट पर यानी बचाव की मुद्रा में रहते हैं, जिस कारण न वे आगे बढ़ पाते हैं और न पीछे आ पाते हैं। मानो उनकी हालत त्रिशंकु जैसी हो जाती है। 

वहीं दूसरी ओर हमें ऐसे भी लोग देखने को मिलते हैं जो हर परिस्थिति में सदैव फ्रंट फुट पर रहते और पूरे आत्मविश्वास और उत्साह के साथ किसी भी बात का सामना करने के लिए तत्पर होते हैं। उपरोक्त दो प्रकार के लोगों में से सदा भयभीत और पीछे-पीछे रहने वाले लोग अंत तक दयनीय जीवन जीते रहते हैं क्योंकि अगले क्षण की निरंतर चिंता उनके आत्मविश्वास के स्तर को बिल्कुल निम्न कर देती है। 

 Anmol vichar: परिणामस्वरूप उन्हें बड़ी मुश्किल और संघर्ष के बाद छोटे अंतराल में सुख प्राप्त होता है, ठीक वैसे ही जैसे किसी बल्लेबाज को दौड़कर एक-एक रन मिलता है। संक्षेप में, ऐसे लोग हर समय रक्षात्मक खेल ही खेलते हैं और उनके शॉट्स कभी भी छक्के या चौके में रूपांतरित नहीं हो पाते, क्योंकि वे ‘रन बनाने के हर अवसर’ को गेंदबाज की उन्हें आऊट करने की साजिश समझते हैं, जिस वजह से जीवन भर वे सिंगल्स और डबल्स तक ही सीमित रह जाते हैं। 

वहीं दूसरी ओर जो साहसी और हर बात में आगे रहने वाले होते हैं, वे जब आत्मविश्वास और अधिक से अधिक शक्ति के साथ अपने शॉट्स खेलते हैं, तब निश्चित रूप से गेंद को बाऊंड्री के उस पार भेजने में सफल हो जाते हैं। आत्मविश्वास जीवन का वह खेल है, जिसे सतत उत्साह के साथ खेलना चाहिए, ताकि सभी प्रकार की बाधाओं को आसानी के साथ पार किया जा सके। 

Anmol Vachan: तो आइए, अपने भीतर ऐसा साहस निर्माण करें, जिससे बिना किसी भय या असमंजस के हम अपने जीवन में छक्के और चौके लगा सकें और बदले में सभी से अटूट प्यार और स्नेह प्राप्त करें परंतु ध्यान रहे, अपने लक्ष्य से ध्यान खोकर, यहां-वहां देखकर मूर्खतापूर्ण शॉट मारकर आऊट न हो जाना !

Niyati Bhandari

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