क्या आप भी बचपन की इस सीख को कर रहे हैं नज़रअंदाज़ तो...

Tuesday, Jun 01, 2021 - 05:36 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमेशा हमने अपने बड़े बुजुर्गों को यह कहते सुना देखा है कि हर व्यक्ति के सदैव अपनों से बड़ों का सम्मान करना चाहिए। कहा जाता है कि बड़ों के प्रति सम्मान का भाव रखने से व्यक्ति अपनी सफलता की ओर तेजी से बढ़ता है। शास्त्रों में लिखा है कि आदर भाव में ग्राह्यता होती है। जो अपने से बड़ों के प्रति सम्मान रखता है उसकी सीखने भी समझने की शक्ति बढ़ती है उर्मिला ऐसा व्यक्ति हमेशा विकास पथ पर अग्रसर बना रहता है। इसीलिए घर के बड़े हमेशा अपने से वरिष्ठ को आदर सम्मान देने की बात कहते हैं।

कहते हैं कि घर हो या फिर बाहरीव्यापार बड़ों से ढेर सारी बातें जाने को मिलती है। परंतु ये सभी बातें व्यक्ति तक तब पहुंचती है जब देने वाले के प्रति आदर और सम्मान का भाग रहता है। बड़े बुजुर्गों से हमें जीवन के अनेक संस्मरण सुनने को मिलते हैं। आचार्य चाणक्य के अनुसार बता दें उम्र पद और योग्यता के स्तर पर कोई भी हमसे बड़ा हो सकता है। इसलिए इनसे कुछ भी सीखने का मौका कभी भी किसी को गंवाना नहीं चाहिए परंतु सीखने के लिए उनके प्रति भाग हमेशा आदर सम्मान वाले होने चाहिए।

एक कहावत के अनुसार एक बुजुर्ग की मृत्यु एक पुस्तकालय के नष्ट होने के समान होती है। बल्कि यह भी कहा जाता है कि एक अनुभवी का हमसे दूर होना पूरे एक कालखंड के बिछड़ जाने के समान होता है छात्र तभी तक अध्ययन कर पाते हैं जब तक शिक्षकों के प्रति सम्मान रखते हैं जो शक अध्यापक अपने शिक्षक के प्रति सम्मान नहीं रखते वह अपने जीवन में कभी सफल नहीं हो पाते।

असमान का भाव व्यक्ति को सीखने और समझने की प्रक्रिया से कोसों दूर कर देता है उम्र के पड़ाव में सीखने जाने की गति धीमी होने लगती है कुल मिलाकर अर्थ यह है कि विकास की प्रक्रिया जिंदगी में ठहर जाती है। तो जो व्यक्ति इसे अपने जीवन में गतिशील बनाए रखना चाहता है उसके लिए यह समझना बहुत आवश्यक है कि बड़ों के प्रति विनम्रता बनाए रखना श्रेयष्कर होता है। बड़ों के अनुभवों से सीखना जीवन में ज्ञान अनुभव पाने का सबसे सरल व प्रभावी ढंग मारा जाता है इसके अतिरिक्त अन्य सभी तरह के तरीके पेयजल और वे पूर्ण माने जाते हैं अगर किसी व्यक्ति को कम प्रयास में अधिक सफलता चाहिए तो उसके लिए सबसे जरूरी है अपने बड़ों का सम्मान करना।
 

Jyoti

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