Monday special: जानें, मां गंगा कैसे बनी भगवान शिव का ताज, पढ़ें कथा

Monday, Mar 20, 2023 - 11:47 AM (IST)

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What is the story of Shiva and ganga: क्या आप जानते हैं कि आखिर मां गंगा का धरती पर अवतरण कैसे हुआ और क्यों? सदियों से लोग इनकी पूजा-अर्चना करते आ रहे हैं। प्राचीन काल में एक राजा हुए जिनका नाम सगर था। सगर एक प्रतापी और शक्तिशाली राजा थे। उनके अश्वमेध यज्ञ के घोड़े को देवताओं के राजा इंद्र ने पकड़ लिया और कपिल मुनि के आश्रम में बांध दिया।

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घोड़े की तलाश में राजा सगर के 60 हजार पुत्र निकल पड़े। जब उन्होंने मुनि के आश्रम में घोड़े को बंधा देखा तो आश्रम पर ही धावा बोल दिया। तप में लीन कपिल मुनि की आंखें खुल गईं और वह क्रोधित हो उठे। उनकी आंखों से ज्वाला उठी और सगर के 60 हजार पुत्रों को पलभर में राख कर दिया।

राजा सगर के एक और पुत्र अंशुमान को जब इस बात का पता चला तो उन्होंने कपिल मुनि से अपने भाइयों की आत्मा के उद्धार की प्रार्थना की। तब मुनि ने उन्हें बताया कि अगर पवित्र गंगा का जल भस्म हुए सगर पुत्रों पर छिड़का जाए तो उन्हें मुक्ति मिल सकती है। अंशुमान ने बहुत कोशिश की लेकिन वह अपने भाइयों को कपिल मुनि के कोप से मुक्त नहीं करा सके। बाद में उनके पोते राजा भगीरथ ने अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के  लिए तपस्या करने का बीड़ा उठाया। पूर्वजों का उद्धार करने के लिए भगीरथ ने कठोर तपस्या की और आखिरकार गंगा को धरती पर आने की उनकी प्रार्थना को स्वीकार करना पड़ा।

Why ganga is on shivas head: अब सवाल था कि गंगा धरती पर आएं कैसे क्योंकि उनकी धारा इतनी तेज थी कि उनके सीधे धरती पर आने का मतलब था तबाही। तब भागीरथ ने एक बार फिर तपस्या कर भगवान शिव से मदद की गुहार लगाई। 


भोले शंकर ने गंगा को अपनी जटाओं से होकर धरती पर जाने के लिए कहा और तब जाकर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों का उद्धार हुआ और उन्हें मिली मुक्ति। भगीरथ आगे आगे जा रहे थे और गंगा उनके पीछे चल रही थीं राजा भगीरथ पतित पावनी को गंगोत्री से लेकर गंगासागर तक गए। 

यहां उन्होंने कपिल मुनि से विनती की कि वह उन्हें श्राप से मुक्त करें। गंगा की अमृतधारा भागीरथ की कठोर तपस्या का फल थी। मोक्षदायिनी मां गंगा को धरती पर देखकर महर्षि कपिल प्रसन्न हुए। उन्होंने सगर पुत्रों को श्राप से मुक्त कर दिया।

Niyati Bhandari

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