आज से 9 फरवरी तक न खाएं ये चीज़ें वरना श्री कृष्ण छोड़ देंगे आपका साथ

Saturday, Jan 11, 2020 - 02:13 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
आज से यानि 11 जनवरी, 2020 से हिंदू धर्म के 11 वें महीने का आरंभ हो चुका है जिसे माघ महीने के नाम से भी जाना जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार क्योंकि ये पूरा मास मघा नक्षत्र युक्त पूर्णिमा होता है इस कारण इसे माघ कहा जाता है। बता दें माघ माह 09 फरवरी, 2020 को खत्म होगा। हिंदू धर्म के अन्य महीनों की तरह इससे भी कई तरह का धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं। जिनमें से इस माह से जुड़ी सबसे मुख्य मान्यता है गंगा में स्नान करने की। ऐसा कहा जाता है इससे स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इसके अलावा भी इस दिन से जुड़ी काफी मान्यताएं प्रचलित हैं। चलिए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें-

धर्म ग्रंथों में उल्लेख मिलता है इस महीने में विधि पूर्वक भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से समस्त प्रकार की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। साथ ही साथ सभी दुख दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि का वास होता है। इसके अलावा इस महीने से जुड़ी एक अन्य मान्यता ये भी है कि इसमें जहां कहीं भी जल हो, वह गंगाजल के समान होता है। मगर सबसे अधिक महत्व प्रयाग, काशी, नैमिषारण्य, कुरुक्षेत्र, हरिद्वार तथा अन्य पवित्र तीर्थों और नदियों में स्नान करने का होता है।

शास्त्रों में कहा गया है कि इस माह में शीतल जल के भीतर डुबकी लगाने वाले मनुष्य को अपने समस्त पापों से छुटकारा मिल जाता है और वे स्वर्ग लोक को प्राप्त होते हैं।
इस संदर्भ में एक श्लोक वर्णित है- 'माघे निमग्नाः सलिले सुशीते विमुक्तपापास्त्रिदिवं प्रयान्ति।'

बताया जाता है माघ मास की अमावस्या को प्रयागराज में 3 करोड़ 10 हज़ार अन्य तीर्थों का समागम होता है। जो नियमपूर्वक व्रत का पालन करता है और माघ मास में प्रयाग में स्नान करता है, वह सभी पापों से मुक्त हो जाता है और स्वर्ग में जाता है।

इन चीजों का करें दान
कहा जाता है इस महीने में कंबल, लाल कपड़ा, ऊन, रजाई, वस्त्र, स्वर्ण, जूता-चप्पल एवं सभी प्रकार की चादरों का दान करना लाभकारी माना जाता है। ध्यान रहे किसी भी प्रकार का दान करते समय 'माधवः प्रियताम्' ज़रूर कहें, इसका अर्थ होता है- 'माधव' (भगवान कृष्ण) अनुग्रह करें।

माघ मास में अपनाएं ये नियम
सर्दी होने के कारण कुछ लोग माघ मास में स्नान करने से पूर्व तथा स्नान के उपरांत आग सेंकते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए। इसके अलावा माघ मास में व्रत करने वाले जातकों को भूमि पर सोना चाहिए, प्रतिदिन हवन, हविष्य भोजन तथा ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। मान्यता है इससे मनुष्य को महान अदृष्ट फल की प्राप्ति होती है। ध्यान रहे इस माह में मूली और धनिया खाना वर्जित होता है। इसके अलावा कुछ मान्यताओं के अनुसार मिश्री नहीं खानी चाहिए। इस माह में खासतौर घी-खिचड़ी खानी चाहिए। इसके अलावा इस दौरान तिल का सेवन अवश्य करना चाहिए, कहा जाता है तिल सृष्टि का प्रथम अन्न है। जो लोग पूरे माघ मास में स्नान व्रत आदि का पालन न कर पाए उसे कम से कम 3 दिन या एक दिन माघ स्नान व्रत का पालन करना चाहिए। इसके बारे में शास्त्रों में श्लोक दिया गया है जो इस प्रकार है- 'मासपर्यन्तं स्नानासम्भवे तु त्र्यहमेकाहं वा स्न्नायात्।'

Jyoti

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