छोटे से बदलाव से भी हो सकती है शुरुआत

Saturday, Jan 27, 2018 - 10:53 AM (IST)

जीवन में एेसे अनकों अवसर आते हैं जब हम बुरे हालात का सामना कर रहे होते हैं और सोचते कि क्या किया जाए क्योंकि इतनी जल्दी तो सब हालातों को बदलना संभव नहीं होता। क्या मेरा ये छोटा सा बदलाव कुछ क्रांति लेकर आएगा भी या नहीं। परंतु हर चीज की शुरुआत बहुत से ढंग से की जा सकती है। कई बार तो सफलता हमसे बस थोड़े ही कदम दूर होती है कि हम हार मान लेते हैं जबकि अपनी क्षमताओं पर भरोसा रख कर किया जाने वाला कोई भी बदलाव छोटा नहीं होता। बल्कि वो हमारी जिंदगी में एक नीव का पत्थर भी साबित हो सकता है। आगे जानें कि किस कदर एक छोटा बदलाव भी महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।

 

एक लड़का सुबह सुबह दौड़ने को जाया करता था।आते जाते वो एक बूढ़ी महिला को देखता था। वो बूढ़ी महिला तालाब के किनारे छोटे-छोटे कछुवों की पीठ को साफ किया करती थी। एक दिन उस लड़के ने इसके पीछे का कारण जानने की सोची।

 

वो लड़का महिला के पास गया और उनका अभिवादन कर बोला "नमस्ते आंटी! मैं आपको हमेशा इन कछुवों की पीठ को साफ करते हुए देखता हूं आप ऐसा किस वजह से करते हो?" महिला ने उस मासूम से लड़के को देखा और इस पर लड़के को जवाब दिया "मैं हर रविवार यंहा आती हूं और इन कछुवों की पीठ साफ करते हुए सुख-शांति का अनुभव लेती हूं।" क्योंकि इनकी पीठ पर जो कवच होता है उस पर कचता जमा हो जाने की वजह से इनकी गर्मी पैदा करने की क्षमता कम हो जाती है इसलिए इन कछुवों को तैरने में मुश्किल का होती है। कुछ समय बाद तक अगर ऐसा ही रहे तो ये कवच भी कमजोर हो जाते है इसलिए कवच को साफ करती हूं।


यह सुनकर लड़का बड़ा हैरान था। उसने फिर एक जाना पहचाना सा सवाल किया और बोला "बेशक आप बहुत अच्छा काम कर रहे हैं लेकिन फिर भी आंटी एक बात सोचिए कि इन जैसे कितने कछुवे हैं जो इनसे भी बुरी हालत में है जबकि आप सभी के लिए ये नहीं कर सकते तो उनका क्या। आपके अकेले के बदलने से तो कोई बड़ा बदलाव नहीं आयेगा न।"


महिला ने बड़ा ही संक्षिप्त लेकिन असरदार जवाब दिया कि भले ही मेरे इस कर्म से दुनिया में कोई बड़ा बदलाव नहीं आएगा लेकिन सोचो इस एक कछुवे की जिंदगी में तो बदलाव आएगा ही न। तो क्यों न हम छोटे से बदलाव से ही शुरुआत करें।

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