शिव पुत्र ने किया था इस मंदिर का निर्माण, हर रोज कुछ देर के लिए होता है आंखों से अोझल(Pics)

Sunday, Jan 22, 2017 - 04:28 PM (IST)

स्तंभेश्वर महादेव मंदिर भारत में सबसे रहस्यमय मंदिरों में से एक है। गुजरात राज्य के वड़ोदरा (बड़ोदा) शहर से लगभग 60 कि.मी की दूरी पर कवि कम्बोई गांव में स्तंभेश्वर महादेव मंदिर स्थित है। यह मंदिर अरब सागर में खंभात की खाड़ी के किनारे स्थित है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर को गायब मंदिर भी कहा जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि स्तंभेश्वर नाम का ये मंदिर दिन में दो बार सुबह और शाम को थोड़ी देर के लिए ओझल हो जाता है अरब सागर के मध्य कैम्बे तट पर बने इस अनोखे मंदिर को देखने दूर-दूर से लोग यहां आते हैं।

 

इस मंदिर के दर्शन केवल कम ज्वार (लहरों) के समय ही किए जा सकते है। ऊंची ज्वार (लहरों) के समय यह मंदिर डूब जाता है। पानी में डूब जाने के कारण यह मंदिर दिखाई नहीं देता इसलिए ही इसे गायब मंदिर कहा जाता है। ऊंची लहरें खत्म होने पर मंदिर के ऊपर से धीरे-धीरे पानी उतरता है और मंदिर दिखने लगता है। माना जाता है कि इस मंदिर का निर्माण कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर नामक राक्षस का वध करने के बाद किया था। भगवान शिव के इस मंदिर की खोज लगभग 150 साल पहले हुई थी। सुबह के समय ज्वार का प्रभाव कम रहता है, तो उस समय मंदिर के अंदर जाकर शिवलिंग के दर्शन किए जा सकते हैं। शाम से रात के समय में ज्वार का प्रभाव अधिक रहता है, जिसकी वजह से मंदिर को पानी में डूबते हुए देखा जा सकता है।

 

कहा जाता है कि ताड़कासुर राक्षस ने भगवान शिव की तपस्या करके उन्हें प्रसन्न कर दिया। ताड़कासुर न भगवान शिव से वरदान मांगा कि उसे उनका बेटा ही मार सकेगा अौर वो भी 6 दिन की उम्र में ऐसा कर सकेगा। वरदान मिलने के बाद ताड़कासुर ने हाहाकार मचाना शुरु कर दिया। जिसके बाद देवता महादेव की शरण में पहुंचे। शिव-शक्ति से श्वेत पर्वत के कुंड में कार्तिकेय का जन्म हुआ। कार्तिकेय के 6 सिर, चार आंखें, 12 हाथ थे। कार्तिकेय ने 6 दिन के अंदर ही ताड़कासुर का वध कर दिया। जब कार्तिकेय को पता लगा कि ताड़कासुर उनके पिता भगवान शिव का अनन्य भक्त था। वे बहुत दुखी हुए। कार्तिकेय को दुखी देख भगवान विष्णु ने उनसे कहा कि वह उस जगह पर शिवलिंग बनवा दें। जिससे उनका मन शांत हो जाएगा। कार्तिकेय ने ऐसा ही किया। देवों ने इस शिवालय का निर्माण करवाया। मंदिर में विराजित शिवलिंग 4 फुट लंबा 2 फुट गोल है। स्तंभेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि और हर अमावस्या पर मेला लगता है। प्रदोष, पूनम और ग्यारस को पूरी रात यहां चारों प्रहर पूजा-अर्चना होती है। दूर-दूर से श्रद्धालु दरिया द्वारा शिवशंभु के जलाभिषेक का अलौकिक दृश्य देखने यहां आते हैं।  

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