घर की सीढ़ियों का गलत दिशा में होना पड़ सकता है भारी

Wednesday, Nov 01, 2017 - 05:59 PM (IST)

सीढ़ियां किसी भी भवन का न सिर्फ खूबसूरत भाग होती हैं, बल्कि ये प्रगति का प्रतीक भी होती हैं। वास्तु विज्ञान के अनुसार सीढ़ियां जीवन में ऊपर उठने की ओर इशारा करती हैं, फिर चाहे यह भौतिक विषय में हो या आध्यात्मिक विषय में। इसलिए सीढ़ियों के निर्माण में विशेष सावधानी बरतनी बहुत जरूरी है। सीढ़ियों को अगर सही दिशा में न बनाया जाए तो यह एक गंभीर वास्तुदोष माना जा सकता है। इसी वास्तु दोष के चलत तरक्की की बजाय नुकसान उठाना पड़ सकता है। ठीक उसी तरह अगर सीढ़ियां सही स्थान पर बनी हों तो जीवन के बहुत से उतार-चढ़ाव व कठिनाइयों से बचा भी जा सकता है। इसलिए जरूरी है कि घर की सीढ़ी वास्तु के नियमों को ध्यान में रख कर बनाई जाए।


*वास्तुशास्त्र के नियम के अनुसार सीढ़ियों का निर्माण उत्तर से दक्षिण की ओर अथवा पूर्व से पश्चिम दिशा की ओर करवाना चाहिए। पूर्व दिशा की ओर से सीढ़ी बनवाते समय इस बात का विशोष ध्यान रखें कि सीढ़ी पूर्व दिशा की दीवार से लगी हुई न हो।

*पूर्वी दीवार से सीढ़ी की दूरी कम से कम तीन इंच होने चाहिए। इस से घर का वास्तु दोष का नाश होता है।


*वास्तुशास्त्र के अनुसार उत्तर पूर्व यानी ईशान कोण में सीढ़ियों का निर्माण कभी नहीं करवाना चाहिए। इससे आर्थिक नुकसान, स्वास्थ्य की हानि, नौकरी एवं व्यवसाय में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। 


*जो लोग खुद ग्राउंड फ्लोर पर रहते हैं और किरायेदारों को ऊपरी मंजिल पर रखते हैं उन्हें मुख्य द्वार के सामने सीढ़ियों का निर्माण नहीं करना चाहिए। वास्तु विज्ञान के अनुसार इससे मालिक की परेशानी बढ़ती रहती है।


*वास्तु की माने तो सीढ़ियों के आरंभ और अंत में द्वार बनवाने से सकारत्मकता का संचार बढ़ता है।


*सीढियां की संख्या हमेशा विषम में होनी चाहिए। 


*सीढ़ियां का निर्माण कभी भी घर के मध्य में नहीं होना चाहिए। इससे घर के सदस्यों को मानसिक तनाव का सामना करना पड़ता है।


*सीढ़ियों की ऊंचाई सात इंच तथा चौड़ाई दस इंच से एक फुट तक होनी चाहिए।


*घर में घुमावदार सीढ़ियां का होना भी अच्छा नहीं माना जाता। 


*सुविधाजनक, सुंदर व मजबूत सीढ़ियां अच्छे वास्तु की परिचायक होती हैं।

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