St. Paul's Cathedral, Kolkata: वास्तुकला की अनोखी धरोहर है सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च
punjabkesari.in Tuesday, Dec 24, 2024 - 08:11 AM (IST)
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St Pauls Cathedral Kolkata: दिसम्बर का महीना व क्रिसमस (बड़ा दिन) करीब हो और गिरजाघर की बात न हो, ऐसा तो हो ही नहीं सकता। गिरजाघर यानी ईसाई धर्मावलंबियों का प्रार्थना (पूजा) स्थल। देश की सांस्कृतिक राजधानी कहे जाने वाले कोलकाता शहर के विभिन्न इलाकों में करीबन आठ गिरजाघर हैं, जिनमें सबसे प्राचीन है महानगर के मैदान इलाके (कैथेड्रल रोड) में स्थित सेंट पॉल कैथेड्रल (चर्च)।
यह गिरजाघर प्राचीन होने के साथ-साथ अपनी अनोखी व अद्भुत वास्तुकला के लिए भी बेहद मशहूर है। कहना गलत नहीं होगा कि देश की प्राचीन राजधानी होने के अलावा कोलकाता भारत का एकमात्र ऐसा शहर है जो अपनी संस्कृति, विरासत, सभ्यता व धरोहर के लिए विश्वभर में प्रसिद्ध है। इन्हीं धरोहरों में से एक है- सेंट पॉल कैथेड्रल, जो वस्तुकला का अद्वितीय उदाहरण है।
सेंट पॉल कैथेड्रल अपने इतिहास, संस्कृति और धार्मिक प्रासंगिकता के लिए देशभर में प्रसिद्ध है। सेंट पॉल कैथेड्रल शहर का प्रमुख और ऐतिहासिक स्थल होने की वजह से यहां पूरे विश्व से बड़ी संख्या में पर्यटक इसके दर्शन को आते हैं। कहते हैं यह गिरजाघर उन सबसे बेहतरीन इमारतों में से एक है, जिन्हें गोथिक शैली की वास्तुकला में बनाया गया है।
इस चर्च की आधारशिला 1839 में रखी गई थी, जो 1847 में बन कर पूरा हुआ। इसकी आधारशिला बिशप डैनियल विल्सन ने रखी थी। इसके निर्माण के लिए 7 एकड़ भूमि के अधिग्रहण के बाद एक कैथेड्रल समिति का गठन किया गया। बिशप विल्सन के अनुरोध पर वास्तुकार सीके रॉबिंसन की सहायता से गिरजाघर का नक्शा (डिजाइन) तैयार किया गया।
ईसाई धर्म के अनुयायियों के मुताबिक सेंट पॉल कैथेड्रल महानगर कोलकाता का सबसे बड़ा और सबसे प्राचीन चर्च है, जिसे ब्रिटिश साम्राज्य के विदेशी क्षेत्र में बनाया गया था।
यह चर्च कुछ-कुछ इगलैंड के नॉर्विच कैथेड्रल की तरह प्रतीत होता है। ऐसा माना जाता है कि यह गिरजाघर यूरोपियन लोगों की जनसंख्या में वृद्धि होने की वजह से सेंट जॉन चर्च के स्थान पर बनवाया गया था।
यह ऐतिहासिक चर्च वास्तुकला का एक खूबसूरत नमूना है, जिसमें पतले सीधे खड़े खम्भे, मेहराब और समभार सहारे सुसज्जित हैं। इस चर्च के अंदरूनी हिस्से में सेंट पॉल की जिंदगी से जुड़े चित्र, पोस्टर और अन्य दस्तावेज प्रदर्शित हैं, जिसमें उनके पवित्र कर्मों का चित्रण व वर्णन किया गया है। चर्च के अंदर का माहौल बड़ा ही सुखद है और यह आपको शोर-शराबे व अराजक तत्वों को भूल एक सुखी और शांत वातावरण का अनुभव प्रदान करता है। जिन लोगों को ध्यान (मैडिटेशन) में रुचि है या जो चर्च में आकर ध्यान करने की इच्छा रखते हैं, उनके लिए इस चर्च के अंदर ही एक छोटा-सा ध्यान केंद्र भी बनाया गया है।
कहते हैं कोलकाता में 1897 और 1934 में आए भूकंप के फलस्वरूप गिरजाघर को काफी नुक्सान हुआ था। बाद में इसे पुर्ननर्मित किया गया। इस गिरजाघर का डिजाइन भारतीय जलवायु परिस्थितियों के अनुकूल रुपांतरित किया गया। इसमें तीन ग्लास खिड़कियों पर बने भिति चित्र शामिल हैं। इनकी लंबाई 247 फुट, चौड़ाई 81 और ऊंचाई 175 फुट है।
इसके अंदरूनी हिस्सों में असमान्य रूप से ऊंची छत, खूबसूरत नक्कशीदार चबूतरे, दीवारों पर भित्ती चित्र, अन्य स्मारकों सहित स्वतंत्र कलाकृतियां हैं। चर्च परिसर में एक पुस्तकालय भी है, जिसमें 800 पुस्तकें और पांडुलिपियां हैं। यह चर्च अनेक हरे-भरे पेड़ों की प्रजातियों से घिरा हुआ है। शहर का यह सबसे पुराना गिरजाघर सौहार्द, खुबसूरती के साथ-साथ शांत वतावरण के लिए जाना जाता है।