श्रीमद्भगवद्गीता: जब श्री कृष्ण ने अर्जुन को सुनाया अपना निर्णय

Tuesday, Apr 27, 2021 - 01:30 PM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता
यथारूप
व्या याकार :
स्वामी प्रभुपाद
साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता

श्रीमद्भगवद्गीता श्लोक-
भयाद्रणादुपरतं मंस्यन्ते त्वां महारथा:।
वेषां च त्वं बहुंभतो भूत्वा यास्यसि लाघवम॥
अवाच्यवादांश्च बहून्वदिष्यन्ति तवाहिता:।
निन्दन्तस्तव सामर्थ्यं  ततो दु:खतरं नु किम्॥

अनुवाद एवं तात्पर्य
भगवान कृष्ण अर्जुन को अपना निर्णय सुना रहे हैं, ‘‘जिन-जिन महान योद्धाओं ने तुम्हारे नाम तथा यश को सम्मान दिया है, वे सोचेंगे कि तुमने डर के मारे युद्धभूमि छोड़ दी है और इस तरह वे तुम्हें तुच्छ मानेंगे।’’

 ‘‘तुम यह विचार मत करो कि दुर्योधन, कर्ण तथा अन्य समसामयिक महारथी यह सोचेंगे कि तुमने अपने भाइयों तथा पितामह पर दया करके युद्धभूमि छोड़ी है। वे तो यही सोचेंगे कि तुमने अपने प्राणों के भय से युद्धभूमि छोड़ी है। इस प्रकार उनकी दृष्टि में तुम्हारे प्रति जो सम्मान था वह धूल में मिल जाएगा।’’

‘‘तुम्हारे शत्रु अनेक प्रकार के कटु शब्दों से तुम्हारा वर्णन करेंगे और तुम्हारी सामर्थ्य का उपहास करेंगे। तुम्हाराे  लिए इससे दुखदायी और क्या हो सकता है?’’

प्रारंभ में ही भगवान कृष्ण को अर्जुन के बिना मांगे दयाभाव पर आश्चर्य हुआ था और उन्होंने इस दयाभाव को अनार्योचित बताया था। अब उन्होंने विस्तार से अर्जुन के तथाकथित दयाभाव के विपक्ष में कहे गए अपने वचनों को सिद्ध कर दिया है। (क्रमश:)

Jyoti

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