Srimad Bhagavad Gita: श्रीकृष्ण बताते हैं ‘सत्य-असत्य’ में अंतर

Wednesday, Jul 19, 2023 - 09:04 AM (IST)

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Srimad Bhagavad Gita: जिस दुनिया को हम जानते हैं, उसमें सच और झूठ दोनों हैं। सावधानीपूर्वक जांच करने से पता चलता है कि असत्य और कुछ नहीं बल्कि सत्य की गलत व्याख्या है, या तो हमारी परिस्थितियों के कारण या हमारी इंद्रियों और मन की सीमाओं के कारण। रस्सी को सांप समझ लेने वाली कहानी का उदाहरण लें तो रस्सी सत्य है और सांप असत्य है जो रस्सी के बिना मौजूद नहीं है लेकिन, जब तक यह बोध नहीं हो जाता, तब तक हमारे सभी विचार और कार्य असत्य पर आधारित होंगे। कुछ ऐसे झूठ पूरे संसार में पीढ़ियो तक जारी रहने की संभावना है।

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इसी तरह, यदि हम किसी भी तकनीक को रूपक सत्य मानते हैं, तो उसका हानिकारक उपयोग झूठ है। लाऊडस्पीकर का इस्तेमाल अच्छाई का प्रचार करने से लेकर भोले-भाले लोगों को हिंसा के लिए उकसाने के लिए भी किया जा सकता है। इसी तरह, आज का सोशल मीडिया जो, लाक्षणिक सत्य है, वही झूठ बन जाता है, जब इसका इस्तेमाल द्वेषपूर्ण ढंग से किया जाता है। श्री कृष्ण को समझने के लिए सत्य और असत्य की समझ आवश्यक है। जब वह कहते हैं, ‘‘मैंने गुणों और कर्मों के भेद के आधार पर चार वर्ण बनाए हैं, लेकिन मुझे अकर्ता और अविनाशी (4.13) के रूप में जानो।’’

वह स्पष्ट रूप से कहते हैं कि ऐसा विभाजन गुणों पर आधारित है लेकिन जन्म पर नहीं और श्रेणीबद्ध नहीं है अर्थात कोई ऊंचा और कोई नीचा नहीं है। तीन गुण हम सभी में अलग-अलग अनुपात में मौजूद हैं और ये कर्म के संदर्भ में चार व्यापक विभाजनों को जन्म देते हैं।

जब हम अपने चारों ओर देखते हैं तो हम पाते हैं कि कुछ लोग ज्ञान और अनुसंधान उन्मुख होते हैं। कुछ राजनीति और प्रशासन में, कुछ कृषि और व्यवसायों में और कुछ सेवा तथा नौकरी में हैं।

यह विभाजन भौतिक जगत में आइंस्टाइन, अलैग्जैंडर, पिकासो और मदर टेरेसा जैसे विभिन्न व्यक्तित्व लाता है। इंद्रधनुष में रंगों की तरह। सच्चाई यह है कि गुण और कर्म के कारण मनुष्य चार प्रकार के होते हैं, एक झूठ बनाया गया कि विभाजन श्रेणीबद्ध है और जन्म पर आधारित है।

 

Niyati Bhandari

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