Srimad Bhagavad Gita: जीव को स्वरूप का ज्ञान होने पर सब कुछ भस्म हो जाता है

Thursday, Jun 22, 2023 - 11:35 AM (IST)

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श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता- स्वामी प्रभुपाद

यथैधांसि समिद्धोऽग्रिर्भस्मसात्कुरुतेऽर्जुन ज्ञानाग्नि: सर्वकर्माणि भस्मसात्कुरुते तथा॥4.37॥

अनुवाद एवं तात्पर्य : जैसे प्रज्जवलित अग्नि ईंधन को भस्म कर देती है, उसी तरह हे अर्जुन, ज्ञान रूपी अग्नि भौतिक कर्मों के समस्त फलों को जला डालती है।

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आत्मा तथा परमात्मा संबंधी पूर्णज्ञान तथा उनके संबंध की तुलना यहां अग्नि से की गई है। यह अग्नि न केवल समस्त पापकर्मों के फलों को जला देती है, अपितु पुण्यकर्मों के फलों को भी भस्मसात करने वाली है।

कर्मफल की कई अवस्थाएं हैं : शुभारंभ, बीज, संचित आदि। किन्तु जीव को स्वरूप का ज्ञान होने पर सब कुछ भस्म हो जाता है, चाहे वह पूर्ववर्ती हो या परवर्ती। वेदों में (वृहदारण्यक उपनिषद में 4.4.22) कहा गया है- उभे उहैवैष एते तरत्यमृत: साध्वसाधूनी - अर्थात : ‘‘मनुष्य पाप तथा पुण्य दोनों ही प्रकार के कर्मफलों को जीत लेता है।’’

Niyati Bhandari

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