Srimad Bhagavad Gita: श्रीमद्भगवद्गीता यथारूप , धर्म का पतन होने पर मैं अवतार लेता हूं

Sunday, Nov 13, 2022 - 07:58 AM (IST)

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साक्षात स्पष्ट ज्ञान का उदाहरण भगवद्गीता- स्वामी प्रभुपाद 

Srimad Bhagavad Gita: धृतराष्ट्र को महाभारत युद्ध का आंखों देखा हाल सुनाते हुए संजय ने आगे कहा, ‘‘दूसरी ओर अनुविंद ने राजा कुंतीभोज पर अपनी गदा का प्रहार किया और कुंतीभोज ने उसकी गदा गिरा कर उसे बाणों से ढांप दिया। कुंतीभोज के पुत्र ने बाणों की वर्षा करके अनुविंद को गंभीर रूप से घायल कर दिया और स्वयं भी उसके बाणों से घायल हो गया।’‘‘कैकेय देश के पांच सगे राजकुमार गांधार देश के पांचों राजकुमारों के साथ युद्ध करने लगे और इसके साथ ही दोनों देशों की सेनाओं में बड़ा घमासान युद्ध आरंभ हो गया।’’

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‘‘राजन, विराट के राजकुमार उत्तर से आपका पुत्र बीरबाहु युद्ध करने लगा और उसे अपने तीखे बाणों से बींध दिया। इसी प्रकार उत्तर ने भी तीखे बाण छोड़ कर उस वीर को घायल कर डाला।’’राजा धृतराष्ट्र ने संजय से पूछा, ‘‘संजय, तुमने दुर्योधन, दुशासन आदि मेरे पुत्रों के युद्ध आरंभ करने का जो वर्णन किया है, उनके विषय में मुझे अभी कोई विशेष चिंता नहीं है। वे सब अपने-अपने बराबर के योद्धाओं से युद्ध कर रहे हैं परंतु शकुनि का क्या हुआ? क्या वह युधिष्ठिर के पुत्र प्रतिविंद के सामने से सचमुच भाग खड़ा हुआ?’’

‘‘हां राजन, युधिष्ठिर कुमार प्रतिविंद के हाथों शकुनि बुरी तरह घायल हो गया और उसने अपने सारथी को रथ लौटा लेने का आदेश दे दिया। शकुनि को भागते हुए देख कर प्रतिविंद ने भारी गर्जना के साथ धर्मराज युधिष्ठिर का जयघोष किया परंतु शकुनि ने पीछे मुड़ कर भी नहीं देखा। उधर शिशुपाल के युवा पुत्र धृष्टकेतु के हाथों बुरी तरह घायल होकर आपकी सेना का महान अतिरथी बाहलीक भी पीठ दिखाकर भाग गया। इसके बाद धृष्टकेतु आलोक से जा  टकराया और उन दोनों के बीच घोर युद्ध हुआ परंतु आलोक भी शिशुपाल के युवा पुत्र की मार सह न सका और थोड़ी ही देर में रणभूमि से भाग गया।’’

 (क्रमश)

Niyati Bhandari

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