Srimad Bhagavad Gita: श्रीमद्भगवद् गीता के अध्यायों का नामकरण रहस्य तथा सार’ - 10

Monday, Dec 13, 2021 - 12:43 PM (IST)

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Srimad Bhagavad Gita: इस अध्याय में भगवान श्री कृष्ण जी ने अपनी विभूतियों का वर्णन किया है। इसमें अर्जुन भगवान से कहते हैं कि किन-किन भावों में आप मेरे द्वारा चिंतन करने योग्य हैं? अर्थात आपके कौन-कौन से दिव्य स्वरूप अर्थात, विभूतियां हैं जिनका मुझे ङ्क्षचतन करना चाहिए। उत्तर में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं, ‘‘मैं अदिति के बारह पुत्रों में विष्णु, नक्षत्रों का अधिपति चंद्रमा, देवों में इंद्र, प्राणियों की चेतना शक्ति, एकादश रुद्रों में शंकर, वसुओं में अग्रि, सेनापतियों में स्कंद (शिव-पार्वती के पुत्र), मुनियों में वेदव्यास, वृक्षों में पीपल, स्थिर रहने वालों में हिमालय, गौओं में कामधेनु, नागों में शेषनाग, दैत्यों में प्रह्लाद, गणना करने वालों में समय, पवित्र करने वालों में वायु, शस्त्रधारियों में श्रीराम, कवियों में शुक्रचार्य, नदियों में भगीरथी गंगा, विद्याओं में अध्यात्म विद्या, सबका नाश करने वाली मृत्यु, छंदों में गायत्री छंद, वृष्णि वंशियों में वासुदेव मैं स्वयं, ज्ञानों का तत्व ज्ञान मैं हूं।’’


‘‘वास्तव में चराचर जगत में कोई भी ऐसा नहीं है जो मुझसे रहित हो।’’

श्री कृष्ण इस अध्याय में स्पष्ट कहते हैं कि सात महर्षिजन, स्वायम्भुव आदि चौदह मनु ये सब मेरे संकल्प से उत्पन्न हुए हैं और इनकी ही संसार में सम्पूर्ण प्रजा है और भगवान के दिव्य प्राकट्य की लीला को न तो देवता जानते हैं और न ही महर्षि क्योंकि भगवान सब प्रकार से इनके आदि कारण हैं।’’

‘‘वास्तव में भगवान तो अजन्मा हैं अर्थात जन्म-मरण से रहित हैं और सभी लोकों के ईश्वर हैं। यह जानना ही उन ईश्वर को तत्व से जानना है।’’

‘‘इस प्रकार जान कर मनुष्य पापों से मुक्त हो जाता है। इस प्रकार निश्चल भक्ति योग से युक्त भक्तों को भगवान स्वयं उनके हृदय में प्रकट होकर तत्वज्ञान रूप योग प्रदान करते हैं तथा तत्वज्ञान रूपी दीपक द्वारा उनके अंत:करण में अज्ञानजनित अंधकार को नष्ट करते हैं।’’

भगवान अर्जुन से कहते हैं, ‘‘मुझे मेरी विभूतियों को अधिक विस्तार से जानने की आवश्यकता नहीं है। मैंने इस सम्पूर्ण जगत को अपनी योग शक्ति के एक अंश मात्र से धारण किया हुआ है।’’

इस अध्याय में भगवान ने अपनी दिव्य विभूतियों का वर्णन किया है इसलिए इस अध्याय का नाम विभूति योग रखा गया है।

Niyati Bhandari

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