मानो या न मानो: मिलती है भविष्य की सूचना, नजरअंदाज करने पर बरसता है कहर!

Monday, Dec 05, 2016 - 09:38 AM (IST)

मध्यप्रदेश में शाजापुर जिले के बोलाई गांव में 600 वर्ष पुराना चमत्कारी श्री सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर स्थित है। कहा जाता है कि मंदिर के सामने से निकलने वाली ट्रेन की गति अपने आप कम हो जाती है। यह दुनिया का एक मात्र ऐसा मंदिर है, जहां हनुमान जी की प्रतिमा में भगवान श्री गणेश विराजित हैं। 

 

हनुमान जी की बाई बाजू पर विराजित हैं सिद्धि विनायक गणेश जी
श्री सिद्धवीर खेड़ापति हनुमान मंदिर रतलाम-भोपाल रेलवे ट्रैक के बीच बोलाई स्टेशन से करीब 1 कि.मी. की दूरी पर स्थित है। यहां स्थापित हनुमान जी की प्रतिमा के बाएं बाजू पर श्री सिद्धि विनायक गणेशजी विराजित हैं। दोनों भगवान एक ही प्रतिमा में विराजित होने के कारण इसे पवित्र, शुभ अौर फलदायी माना जाता है। 

 

भक्तों को हो जाता है भविष्य की घटनाओं का पहले ही अंदाजा
माना जाता है कि मंदिर में आने वाले भक्तों को भविष्य में घटित होने वाली घटनाअों का पहले ही अंदाजा लग जाता है। मंदिर से कई चमत्कार जुड़े हैं। कहा जाता है कि मंदिर के सामने से कोई भी ट्रेन गुजरती है तो उसकी गति अपने आप ही कम हो जाती है। ट्रेन ड्राइवरों को लगता है जैसे कोई उन्हें ट्रेन की स्पीड कम करने के लिए कह रहा है। यदि कोई ड्राइवर इसे नजरअंदाज करता है तो ट्रेन की गति स्वयं कम हो जाती है। 

 

कुछ समय पूर्व हुआ था हादसा
सूत्रों से ज्ञात हुआ है कि कुछ समय पहले रेलवे ट्रेक पर दो मालगाड़ियां टकरा गई थी। बाद में दोनों गाड़ियों के ड्राइवरों ने बताया कि उन्हें घटना होने के कुछ देर पूर्व ही एहसास हो गया था। उन्हें ऐसा लग रहा था जैसे कोई उन्हें गाड़ी की गति कम करने को कह रहा हो लेकिन उन्होंने स्पीड कम नहीं की जिसके कारण ये टक्कर हो गई थी। 

 

मंदिर का जीर्णोद्धार
यह मंदिर बहुत पुराना है। ठा. देवीसिंह ने 300 वर्ष पूर्व मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। यहां वर्ष 1959 में संत कमलनयन त्यागी ने अपने गृहस्थ जीवन को त्याग कर उक्त स्थान को अपनी तपोभूमि बनाया था। उन्होंने यहां पर 24 वर्षों तक कड़ी तपस्या कर सिद्धियां प्राप्त की थी।

 

एक अन्य मान्यता के अनुसार मंदिर में आने वाले हर भक्त की मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है। मंदिर में प्रत्येक शनिवार, मंगलवार अौर बुधवार को दूर-दूर से भक्त हनुमान जी के दर्शनों के लिए आते हैं। 

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