Gurpurab 2020: ‘सतगुरु नानक प्रगटिया मिटी धुंध जग चानण होआ’

punjabkesari.in Monday, Nov 30, 2020 - 06:26 AM (IST)

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Guru Nanak Dev Ji Birthday 2020: श्री गुरु नानक देव जी का जन्म राय भोए की तलवंडी में 1469 ई. में मेहता कल्याण दास जी के घर माता तृप्ता जी की कोख से हुआ। आप जी के जन्म दिन को लेकर अलग-अलग इतिहासकारों की अलग-अलग धारणाएं हैं। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि आपका जन्म 15 अप्रैल, 1469 ई. (वैसाख सुदी 3, 1526 विक्रमी) को हुआ तथा कुछ आप जी का जन्म कार्तिक की पूर्णिमा को हुआ मानते हैं। आपका जन्म दिन आजकल कार्तिक की पूर्णिमा को ही मनाया जाता है।

PunjabKesari guru nanak dev ji birthday
All about the history of Guru Nanak dev ji: बचपन से ही आपका मन प्रभु भक्ति में लीन रहता था तथा जरूरतमंद लोगों की मदद करना आपकी आदत बन गई थी। आपको पढ़ने के लिए पंडित जी तथा मौलवी दोनों के पास भेजा। गुरु जी बचपन से ही संत-महापुरुषों की संगत करते रहते थे। 9 वर्ष की आयु में जब इन्हें जनेऊ पहनने को कहा गया तो आपने यह कह कर मना कर दिया कि उन्हें तो ऐसा जनेऊ पहनाया जाए जो न तो कभी टूट सके तथा न ही गंदा हो सके और न ही अग्नि उसे जला सके। यह सुन कर सभी दंग रह गए।

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Know all about guru nanak dev ji: इसके बाद जब गुरु जी कुछ और बड़े हुए तो उन्हें कारोबार सिखाने के लिए 20 रुपए देकर कुछ सामान खरीदने के लिए भेजा गया, ताकि उस सामान को लाकर अधिक मूल्य पर बेचकर मुनाफा कमाया जा सके परंतु गुरु जी ने गांव चूहड़काना में कई दिनों से भूखे-प्यासे बैठे संत-महापुरुषों को इन 20 रुपए का भोजन खिलाया तथा कहा कि यह सच्चा सौदा है। जब गुरु जी घर पहुंचे तो उनके पिता जी उन पर बहुत नाराज हुए, परंतु गुरु जी की बहन बीबी नानकी जी ने अपने पिता जी को समझाया कि गुरु जी कोई साधारण मानव नहीं, बल्कि भगवान ने उन्हें किसी विशेष कार्य के लिए भेजा है।

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Discover Sikhism: बीबी नानकी जी के ससुराल सुल्तानपुर लोधी में थे। बहन अपने भाई को अपने पास ही ले आई, जहां गुरु जी को मोदी खाने में नौकरी मिल गई परंतु गुरु जी का ध्यान यहां भी प्रभु भक्ति में लगा रहता। जो भी जरूरतमंद आप जी के पास आता आप उसे भोजन या राशन दे देते थे।

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What is Guru Nanak Dev taught: गुरु नानक देव जी इस दुनिया पर भूले-भटके लोगों को सत्य का मार्ग दिखलाने आए थे। अपने मिशन को वह पूरे देश-विदेश का भ्रमण करके ही पूरा कर सकते थे। इसी लक्ष्य को लेकर आप नित्य की तरह सुल्तानपुर के निकट से बहती बेईं नदी में स्नान करने के लिए गए और तीन दिन तक बाहर न आए। लोगों ने सोचा कि वह नदी में समा गए हैं, परंतु तीसरे दिन आप जी जब नदी से बाहर निकले तो आपने कहा कि न कोई हिन्दू न मुसलमान।

इस पर विवाद खड़ा हो गया परंतु गुरु जी ने सभी को समझाया कि मनुष्य को इंसान बनना है, इंसानियत ही सबसे बड़ा धर्म है।

अपने मिशन को पूरा करने के लिए गुरु जी ने चारों दिशाओं में चार लम्बी धार्मिक यात्राएं कीं, जिन्हें चार उदासियां कहा जाता है। इन चार यात्राओं में गुरु जी ने देश-विदेश का भ्रमण किया तथा लोगों को सत्य के मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया।

Teachings of Guru nanak dev ji: गुरु जी ने पहाड़ों में बैठे योगियों तथा सिद्धों के साथ भी वार्ताएं कीं तथा उन्हें दुनिया में जाकर लोगों को परमात्मा के साथ जोड़ने के लिए लोगों को प्रेरित करने के लिए उत्साहित किया। आप जी ने गृहस्थ मार्ग को सर्वोत्तम माना तथा स्वयं भी गृहस्थ जीवन व्यतीत किया।

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Niyati Bhandari

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