आज है सावन का आख़िरी मंगलवार, भोलेनाथ को खुश करने का न गवाएं 1 भी मौका

Tuesday, Aug 13, 2019 - 02:37 PM (IST)

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सावन का महीना शिव भक्तों के लिए एक नई उमंग लेकर आता है। कहते हैं हर शिव भक्त को सावन के महीने का इंतज़ार रहता है। मगर जैसे-जैसे ये महीना बीतता जाता है वैसे-वैसे शिव भक्तों में कहीं न कहीं मायूसी छाने लगती है। इस साल का श्रावण माह भी अपने अंतिम चरण में आ चुका है। ठीक दो दिन बाद 2019 के सावन का महीना खत्म होने वाला है। इसी के चलते इस माह के आख़िरी सोमवार यानि 12 अगस्त को शिवालयों में अधिक भीड़ देखी गई क्योंकि श्रावण के सोमवार की शास्त्रों में अधिक महत्ता बताई गई है। लेकिन आपको बता दें सोमवार के अलावा इस माह के बाकी दिनों का भी अधिक महत्व है।

आज श्रावण शुक्ल तिथि त्रयोदशी दिन मंगलवार भी बेहद खास माना जा रहा है। बता दें ज्योतिष शास्त्र के मंगलवार का दिन बजरंगबली को समर्पित है। चूंकि हनुमान जी भगवान शंकर का अवतार है इसलिए सावन में इनकी पूजा अति फलदायी मानी जाती है। तो अगर आपको लग रहा है सावन में इन्हें प्रसन्न करने के मौके गवा चुके हैं तो आपको बता दें आप गलत सोच रहे हैं क्योंकि आज कुछ खास उपाय आदि करके इन्हें खुश किया जा सकता है।

जैसे कि सब जानते हैं हनुमान जी  शिव जी के ही अवतार हैं। मान्यता है कि इस महीने में बजरंगबली की पूजा करने से भगवान शिव जल्द प्रसन्न हो जाते हैं। शिवपुराण में किए वर्णन के अनुसार शिव जी और उनके अवतारों के पूजा करने से कार्यों में आ रही बाधाएं दूर हो जाती हैं। और अगर बात की जाए हनुमान जी की ये तो अपनी भक्तों के संकट दर करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।

तो आइए जानें इन उपायों के बारे में-
आज यानि सावन माह के आख़िरी मंगलवार को बजरंगबाली को गाय के घी से बना चूरमा चढ़ाएं।

पवनपुत्र हनुमान को चमेली का तेल और चोला चढ़ाएं। साथ ही इनके समक्ष घी का दीपक जलाएं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पारद से बने हनुमान जी की मूर्ति को घर में स्थापित करने से सभी तरह के गृह क्लेश समाप्त हो जाते हैं और खुशहाली बढ़ती है। साथ ही हनुमान जी पर गुलाब की माला चढ़ाएं और केवड़े का इत्र इनके कंधों पर डालें।

पीपल के 11 पत्तों पर चंदन से श्रीराम का नाम लिखें और उसकी माला बनाकर हनुमान जी को अर्पित करें। इसके अलावा पीपल पेड़ के पास बैठकर निम्म मंत्र का जाप करें।

अतुलितबलधामं हेमशैलाभदेहं, दनुजवनकृशानुं ज्ञानिनामग्रगण्यम।
सकलगुणनिधानं वानराणामधीशं, रघुपतिप्रियभक्तं वातजातं नमामि।।
 

Jyoti

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