Success की ओर बढ़ाने हैं कदम तो इन मंत्रों की मदद से दूर करें कुंडली के शनि दोष

Saturday, Feb 08, 2020 - 01:20 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
शनिवार का दिन शनि देव की पूजा के लिए सबसे श्रेष्ठ माना जाता है। अब ये तो नाम से ही स्पष्ट है कि शनि ग्रह के स्वामी शनि देव हैं इसलिए इनको सप्ताह का 6ठां दिन यानि शनिवार समर्पित है। क्योंकि शनि देव को थोड़ा क्रूर ग्रह माना जाता है। जिस कारण हर कोई इनसे बहुत डरता है। खासतौर पर इनकी टेढ़ी दृष्टि से। तो ऐसे लोगों को ये जानने की ज़रूरत है शनि केवल दंड नहीं बल्कि आशीर्वाद भी देते हैं। जी हां, शास्त्रों में इन्हें न्याय का देवता व कर्मफल दाता बताया गया है। जिसका सीधा-सीधा मतलब ये हुआ कि इनसे डरने की आवश्कता केवल उन लोगों को है जो किसी के साथ अन्याय करते हैं या जो किसी भी तरह के कुकर्म करते हैं।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर आपके कर्म अच्छे हैं तथा आप इन्हें प्रसन्न करने के लिए विधिवत इनकी पूजा अर्चना के साथ-साथ इनसे जुड़े खास उपाय आदि करते हैं तो आप पर शनि कृपा ज़रूर बरस सकती है। तो चलिए अगर आपको शनि देव को प्रसन्न करना है और उनकी कृपा पानी है तो नीचे दिए गए उपायों के साथ-साथ निम्न मंत्रों का भी जाप करें। इससे न केवल आपको इनकी कृपा प्राप्त होगी बल्कि इसके जाप से प्रभाव से आपकी लाइउ की सब प्रॉबल्मस दूर हो जाएंगी।

शनि की कृपा पाने के लिए इस दिन यानि शनिवार के दिन प्रातः थोड़े से काले तिल, आटा, शक्कर तीनों चीजों को मिलाकर इसके मिश्रण को चींटियों को खिलाएं, शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

अगर किसी की कुंडली में शनि दोष हो तो इससे मुक्ति के लिए सूर्यास्त के समय काले घोड़े की नाल या नाव की कील से बनी लोहे की अंगूठी अपनी मध्यमा उंगली में हनुमान जी के मंदिर में जाकर पहनें।

शनिवार के दिन अपनी सामर्थ्य अनुसार प्रातः काल काले तिल, काला कपड़ा, कंबल, लोहे के बर्तन, उड़द की दाल का दान करें। इससे शनि देव शीघ्र शुभ फल देंगे और आप तमाम तरह के दोषों से मुक्त करवाएंगे।

शनिवार को सुबह स्नान करने के बाद एक कटोरी में सरसों का तेल लें और उसमें अपना चेहरा देखकर उस तेल का दान किसी जरूरतमंद को कर दें। ऐसा करने से आपके जीवन की सभी बाधाएं दूर हो जाएगी।

इसके अलावा इन मंत्रों का करें जाप-
।। ॐ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न: ।।

ॐ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

।। ॐ शं शनैश्चराय नम:।।

प्रां प्रीं प्रौं स: शनये नम: ।।

Jyoti

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