इन मंत्रों के जाप से नष्ट होंगे कुंडली के सभी दोष

Friday, Nov 15, 2019 - 03:05 PM (IST)

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लगभग लोगों को पता ही होगा कि गुरुवार को श्री हरि की पूजा के अलावा इस वार के ग्रह यानि बृहस्पति ग्रह की जिसे गुरु ग्रह भी कहा जाता है, को खुश करने के लिए कई तरह के उपाय आदि किए जाते हैं। ज्योतिष शास्त्र में गुरु देव यानि गुरु ग्रह को ज्ञान, प्रतिभा,वैभव, धन के साथ-साथ सम्मान के प्रदाता माना जाता है। कहा जाता है जिनकी कुंडली में इनकी दृष्टि अच्छी होती है उसे ये सभी चीज़ें प्राप्त होती हैं। तो वहीं अगर किसी की कुंडली में इसकी प्रतिकूल दृष्टि होती है तो मनुष्य धन-संपत्ति आदि से हीन हो जाता है और जीवन में अधिक दुख भोगता है।
तो अगर आपकी कुंडली में इनकी कृदृष्टि पड़ रही है तो यहां हम आपको इनके कुछ ऐसे मंत्र बता रहे हैं जिनके जाप से आप इनके कुप्रभाव से तो छूटेंगे ही बल्कि साथ ही साथ आपके जीवन में सुख-समृद्धि के साथ-साथ ऐश्वर्य की भी प्राप्ति होगी। तो चलिए देर न करते हुए जानते हैं इनके सबसे प्रभावशाली मंत्रों के बार में जिनका उच्चारण आपकी भी तकदीर बदलने में सहायता कर सकता है।

विनियोग मंत्र
ॐ अस्य बृहस्पति नम: (शिरसि)
ॐ अनुष्टुप छन्दसे नम: (मुखे)
ॐ सुराचार्यो देवतायै नम: (हृदि)
ॐ बृं बीजाय नम: (गुहये)
ॐ शक्तये नम: (पादयो:)
ॐ विनियोगाय नम: (सर्वांगे)

करन्यास मंत्र
ॐ ब्रां- अंगुष्ठाभ्यां नम:।
ॐ ब्रीं- तर्जनीभ्यां नम:।
ॐ ब्रूं- मध्यमाभ्यां नम:।
ॐ ब्रैं- अनामिकाभ्यां नम:।
ॐ ब्रौं- कनिष्ठिकाभ्यां नम:।
ॐ ब्र:- करतल कर पृष्ठाभ्यां नम:।

करन्यास के बाद नीचे लिखे मंत्रों का उच्चारण करते हुए हृदयादिन्यास करें:-
ॐ ब्रां- हृदयाय नम:।
ॐ ब्रीं- शिरसे स्वाहा।
ॐ ब्रूं- शिखायैवषट्।
ॐ ब्रैं कवचाय् हुम।
ॐ ब्रौं- नेत्रत्रयाय वौषट्।

रत्नाष्टापद वस्त्र राशिममलं दक्षात्किरनतं करादासीनं,
विपणौकरं निदधतं रत्नदिराशौ परम्।
पीतालेपन पुष्प वस्त्र मखिलालंकारं सम्भूषितम्,
विद्यासागर पारगं सुरगुरुं वन्दे सुवर्णप्रभम्।।

Jyoti

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