रात 12 बजे करना नहीं भूलें श्री कृष्ण की ये आरती

Saturday, Aug 24, 2019 - 06:15 PM (IST)

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जन्माष्टमी है तो ज़ाहिर सी बात है कि हर कोई इनकी भक्ति में लीन हैं। कोई इनके जन्म दिवस के खास तरह से इनके लिए सजावट करने में बिजी है तो कोई इनके मंत्रों के जाप में लीन होकर इनका ध्यान कर रहा है। तो कोई इन्हें प्रसन्न करने के लिए अलग-अलग ज्योतिष उपाय करते हैं। इसके अलावा रात को 12 बजे तो हर कोई इनका पूजन करता हैं। श्री कृष्ण के जन्म होने से पहले ही लोग अपने घर में स्थापित लड्डू गोपाल को तैयार करना शुरू कर देते हैं जिसमें सबसे पहले उन्हें स्नान करवाना, नए वस्त पहनाना, श्रृगांर करना फिर उन्हें उनके मन पसंद व्यंजन का भोग लगाकर उनकी वंदना करनी। लेकिन बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो इस विशेष दिन सबसे ज़रूरी काम करना भूल जाते हैं। अब आप सोेचेंगे कि वो क्या काम है। तो आपको बता दें कि वो श्री कृष्ण जी की एक स्पेश्ल आरती। जिसका इस दिन वंदन करना अति अनवार्य होता है।

यहां जानें कौन सी है वो आरती- 
आरती बताने से पहले बता दें कि द्वापरयुग में भादो माह की अष्टमी को अर्धरात्रि में श्री कृष्ण का जन्म हुआ था। जिस कारण प्रत्येक वर्ष इस दिन इनके बाल रूप की आधी रात को पूजा की जाती है। उनका अच्छे से श्रृंगार करके, पालने में उन्हें विराजित करके झूला झुलाया जाता है। 

भगवान श्रीकृष्णजी की आरती 
आरती कुंज बिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की। 
गले में बैजन्तीमाला बजावैं मुरलि मधुर बाला॥
श्रवण में कुंडल झलकाता नंद के आनंद नन्दलाला की। आरती...।
गगन सम अंगकान्ति काली राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली भ्रमर-सी अलक कस्तूरी तिलक।
चंद्र-सी झलक ललित छबि श्यामा प्यारी की। आरती...।
कनकमय मोर मुकुट बिलसैं देवता दरसन को तरसैं।
गगन से सुमन राशि बरसैं बजै मुरचंग मधुर मृदंग।
ग्वालिनी संग-अतुल रति गोपकुमारी की। आरती...।
जहां से प्रगट भई गंगा कलुष कलिहारिणी गंगा।
स्मरण से होत मोहभंगा बसी शिव शीश जटा के बीच।
हरै अघ-कीच चरण छवि श्री बनवारी की। आरती...।
चमकती उज्ज्वल तट रेनू बज रही बृंदावन बेनू।
चहुं दिशि गोपी ग्वालधेनु हंसत मृदुमन्द चांदनी चंद।
कटत भवफन्द टेर सुनु दीन भिखारी की।

Jyoti

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