12 अप्रैल को है इस साल की एकमात्र सोमवती अमावस्या, ऐसे बनाएं दांपत्य जीवन खुशहाल

Wednesday, Mar 31, 2021 - 03:03 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
हमारे पौराणिक शास्त्रों व हिन्दू धर्म में अमावस्या तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना गया है। हिंदू कैलेंडर यानी पंचांग में एक साल में कुल 12 अमावस्या होती हैं। धर्म ग्रंथों में इसे पर्व भी कहा गया है। अगर साधारण शब्दों में हम कहें तो जिस दिन चंद्रमा दिखाई नहीं देता है, उस दिन को अमावस्या कहते हैं। अमावस्या को पूर्वजों का दिन भी कहा जाता है।  दिन के अनुसार पड़ने वाली अमावस्या के अलग-अलग नाम होते हैं। जैसे सोमवार को पड़ने वाले अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहते हैं । उसी तरह शनिवार को पड़ने वाली अमावस्या को शनि अमावस्या कहते हैं । पितृदेव को अमावस्या का स्वामी माना जाता है इसीलिए इस दिन पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध कर्म या पूजा -पाठ करना अनुकूल माना जाता है। बहुत से लोग अपने पूर्वजों के नाम से हवन करते है और प्रसाद आदि चढ़ाते हैं।

इस साल 12 अप्रैल को सोमवती अमावस्या है। खास बात यह है कि इस साल सोमवती अमावस्या केवल एक ही पड़ रही है, जिसके कारण इसका महत्व और बढ़ रहा है।शास्त्रों के अनुसार, सोमवार चंद्रमा का दिन होता है और इस दिन अमावस्या पड़ने पर सूर्य और चंद्र एक सीध में स्थित रहते हैं। इस खास संयोग को शास्त्रों में बेहद शुभ माना जाता है। वैसे भी शास्त्रों के अनुसार, सोमवार के दिन अमावस्या पड़ना बेहद शुभ माना जाता है।

सोमवार मोक्ष के दाता भगवान शिव को समर्पित है। इसलिए इस दिन शंकर भगवान की पूजा करते हुए महिलाएं अपने पति की दीर्घायु की कामना करती हैं और पीपल के वृक्ष में शिवजी का वास मानकर उसकी पूजा और परिक्रमा की करती है। यह भी माना जाता है कि पूर्वजों की आत्मा  की तृप्ति के लिए अमावस्या के सभी दिन श्राद्ध की रस्मों को करने के लिए उपयुक्त है। भगवान आशुतोष मोक्ष के दाता हैं और उनके दिन सोमवार को अगर अमावस्य आती है और अगर उस दिन पितृ का तर्पण हम श्रद्धा पूर्वक करते हैं तो भगवान आशुतोष उस जातक को पितृ ऋण से मुक्त कर देते हैं और हमारी कुंडली में प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष पितृ दोष  समाप्त हो जाता है। इस दिन नदी में स्नान, जप, दान और तप करना बेहद शुभ होता है।

12 अप्रैल को पड़ रही सोमवती अमावस्या के शुभ मुहूर्त बारे बताना चाहूंगा। कुंडली टीवी के दर्शक यह नोट कर लें कि सोमवती अमावस्या 11 अप्रैल 2021 दिन रविवार को सुबह 06 बजकर 05 मिनट से शुरू होकर 12 अप्रैल 2021 दिन सोमवार को सुबह 08 बजकर 02 मिनट पर समाप्त होगी।

हिंदू पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 12 अप्रैल को सुबह 08:00 बजे तक उपरांत प्रतिपदा। इस दिन सुबह 11 बजकर 30 मिनट तक रेवती नक्षत्र होगा। इसके उपरांत अश्विनी नक्षत्र होगा। वैधृति योग दोपहर 02 बजकर 27 मिनट तक होगा।उसके बाद विष्कुम्भ योग बनेगा। 

इन बातों का रखना होगा ध्यान- 
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह उठकर स्नान करना उचित माना गया है। इस दिन देर तक नहीं सोना चाहिए। अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की पूजा होती है। घर के पितरों का तर्पण करना चाहिए और शुद्ध सात्विक भोजन बनाकर उन्हें भोग लगाना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने पितर तृप्त होते हैं और आशीर्वाद देते हैं। अमावस्या के दिन अपनी सामर्थ्य के हिसाब से दान जरूर देना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार, अमावस्या के दिन वाद-विवाद से बचना चाहिए। इस दिन झूठ नहीं बोलना चाहिए। मांस-मदिरा का सेवन नहीं करना चाहिए। सोमवती अमावस्या के दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए व्रत रखती हैं।  कहते हैं कि इस दिन दान करने से घर में सुख-शांति व खुशहाली आती है।

गुरमीत बेदी
gurmitbedi@gmail.com

Jyoti

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