Somvati Amavasya: साल की अंतिम सोमवती अमावस्या आज, राहु दोष से मुक्ति पाने का है बेहतरीन मौका

Monday, Nov 13, 2023 - 08:45 AM (IST)

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Somvati Amavasya: पंचांग के अनुसार आज 13 नवंबर को सोमवती अमावस्या का दिन है। इस दिन स्नान और दान करने से साधक को सुख और सौभाग्य की प्राप्ति होती है। वहीं बता दें कि सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करने का भी विधान है। आज के दिन इनकी पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। सोमवती अमावस्या का दिन दोषों से मुक्ति पाने के लिए बेहद उत्तम होता है। इस दिन किए गए उपाय कभी भी विफल नहीं होते। इसी के साथ बता दें कि आज के दिन अमावस्या के साथ-साथ बहुत से शुभ योगों का निर्माण होने जा रहा है। जिस दौरान कुछ खास उपाय करने से राहु के बुरे प्रभावों से मुक्ति पा सकते हैं। तो चलिए सबसे पहले जानते हैं स्नान-दान का मुहूर्त।

Somvati Amavasya सोमवती अमावस्या 2023
पंचांग के अनुसार सोमवती अमावस्या की शुरुआत 12 नवंबर को रविवार दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से शुरू होगा और 13 नवंबर सोमवार को दोपहर 2 बजकर 56 मिनट पर इसका समापन होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार साल की अंतिम सोमवती अमावस्या 13 नवंबर यानी आज है।

Somvati Amavasya in 3 auspicious yogas 3 शुभ योग में सोमवती अमावस्या
आज सोमवती अमावस्या के दिन सौभाग्य, शोभन और सर्वार्थ सिद्धि योग का निर्माण हो रहा है। सौभाग्य योग सुबह से शुरू होकर दोपहर 3 बजकर 23 मिनट तक रहेगा। शोभन योग पूरी रात रहेगा।

Measures to reduce the ill effects of Rahu राहु के दुष्प्रभाव को कम करने के लिए के उपाय

शास्त्रों के अनुसार राहु के दुष्प्रभाव को करने के लिए जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग पर अर्पित करने चाहिए। अर्पित करते समय इस मंत्र का जाप करें:

ऊँ रां राहवे नम:

राहु के बुरे प्रभाव को कम करने के लिए ये मंत्र बहुत प्रभावशाली साबित होता है।

इसके अलावा जो साधक आज के दिन राहु स्तोत्र का पाठ करता है। उसके जीवन से नकारात्मकता दूर होने लगती है।

आज के दिन काले कुत्ते को रोटी खिलाने से भी राहु का बुरा प्रभाव कम हो जाता है।

जीवन में अगर बुरी शक्तियों का साया हो तो उसे कम करने के लिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल और लौंग डालकर दीपक जलाना चाहिए।

Chant these mantras of Rahu राहु के इन मंत्रों का करें जाप

ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।

ऊँ कया निश्चत्रेति मन्त्रस्य वामदेव ऋषि: गायत्री छन्द: राहुल देवता: राहु प्रीत्यर्थे जपे विनोयोग:॥


 

Prachi Sharma

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