Sawan Som Pradosh: सावन के आखिरी प्रदोष पर बन रहा खास योग, जानें मुहूर्त और पूजा विधि

Monday, Aug 28, 2023 - 07:26 AM (IST)

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Sawan Som Pradosh Vrat 2023: सावन का महीना अब जल्दी ही समाप्त होने वाला है। इस बार अधिक मास की वजह से सावन में 4 प्रदोष व्रत का संयोग बना है। अब तक सावन के 3 प्रदोष व्रत बीत चुके हैं। सावन का चौथा और आखिरी प्रदोष व्रत आज 28 अगस्त 2023 को मनाया जा रहा है। खास बात यह है कि आज सावन का आखिरी सोमवार भी है। सावन सोमवार और प्रदोष व्रत का खास संयोग बनने की वजह से पूजा का दोगुना शुभ फल मिलेगा। सावन का आखिरी प्रदोष व्रत सोमवार के दिन पड़ रहा है इसलिए इसे सोम प्रदोष व्रत कहा जाएगा। माना जाता है कि प्रदोष व्रत व्यक्ति को हर संकट से मुक्ति दिलाता है। आइए जानते हैं, सोम प्रदोष व्रत के महत्व, शुभ मुहूर्त, शुभ संयोग और पूजा विधि के बारे में


Sawan Som Pradosh fast auspicious time सावन सोम प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार सावन महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 28 अगस्त 2023 को शाम 06 बजकर 22 मिनट पर हो रही है। इसका समापन अगले दिन 29 अगस्त 2023 को दोपहर 02 बजकर 47 मिनट पर होगा। प्रदोष व्रत की पूजा शाम को  की जाती है। इसलिए प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 48 मिनट से रात 09 बजकर 02 तक है।

Significance of Sawan Som Pradosh Vrat सावन सोम प्रदोष व्रत का महत्व
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, जो व्यक्ति सावन के महीने में प्रदोष व्रत की पालना करता है, उसे जीवन में सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। माना जाता है कि यह व्रत रखने से व्यक्ति निरोगी रहता है और स्वस्थ जीवन जीता है। साथ ही भगवान शिव की कृपा से असंभव काम को संभव करने का वरदान मिलता है।


Som Pradosh Vrat 2023 auspicious coincidence सोम प्रदोष व्रत 2023 शुभ संयोग
आज 28 अगस्त को व्रत करने से प्रदोष व्रत और सावन सोमवार व्रत दोनों का पुण्य फल मिलेगा। सावन के आखिरी प्रदोष और सोमवार के दिन रुद्राभिषेक करना फलदायी रहेगा।
आयुष्मान योग - प्रात:काल से लेकर सुबह 09:56 तक
सौभाग्य योग - सुबह 09:56 से पूरी रात तक
सर्वार्थ सिद्धि योग - मध्यरात्रि 02:43 से 29 अगस्त को सुबह 05:57 तक
रवि योग - मध्यरात्रि 02:43 बजे से 29 अगस्त को सुबह 05:57 बजे तक

Worship method of Pradosh Vrat प्रदोष व्रत की पूजा विधि
प्रदोष व्रत की पूजा के लिए सूर्यास्त का समय निहित है। इस दौरान की गई सभी प्रकार की प्रार्थनाएं और पूजा सफल मानी जाती है।
प्रदोष के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। फिर शिवलिंग पर जलाभिषेक करके व्रत का संकल्प लें।
सूर्यास्त के बाद प्रदोष काल में पूरे विधि-विधान से शिव परिवार की पूजा करें और फिर दूध, दही, गंगाजल, शहद से अभिषेक करें।
शिव तांडव स्त्रोत या फिर शिवाष्टक स्त्रोत का पाठ करें।
अगर आप प्रदोष व्रत करते हैं तो अगले दिन व्रत का पारण करने के बाद जरूरतमंदों को दान जरूर करें और उसके बाद ही अन्न ग्रहण करें।

Niyati Bhandari

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