मानो या न मानो: शनिदेव को गले मिलने से पाप और दरिद्रता का होता है अंत

Saturday, Feb 13, 2021 - 11:42 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Shnichara Temple: सूर्य पुत्र शनि देव का नाम सुनकर लोग सहम से जाते हैं। शनि की टेढ़ी चाल से किसे डर नहीं लगता, उनके क्रोध से देवता भी थर-थर कांपते हैं, कहते हैं शनि की कृपा राजा को रंक और रंक को राजा बना सकती है। ज्योतिष शास्त्र में शनि की साढ़ेसाती के अशुभ प्रभावों को कम करने के लिए दान, पूजन, व्रत, मंत्र आदि उपाय किए जा सकते हैं। आज भारत के कोने-कोने में शनि मंदिर हैं पर कुछ शनि मंदिर अत्यन्त प्रभावशाली हैं, वहां की गई पूजा-अर्चना का शुभ फल प्राप्त होता है।


ऐसा ही एक मंदिर है शनिश्चरा मंदिर जो मध्य प्रदेश के ऐतिहासिक शहर ग्वालियर में स्थित है। ग्वालियर से बस और टैक्सी के माध्यम से शनिश्चरा मंदिर में दर्शनों के लिए जाया जा सकता है। देश के बहुत से शहरों से ग्वालियर के लिए सीधी हवाई सेवा भी उपलब्ध है।

शनिवार और शनि अमावस्या के दिन यहां काफी भीड़ होती है और यातायात का भी विशेष प्रबंध होता है। 


माना जाता है कि यहां स्थापित शनि पिण्ड हनुमान जी ने लंका से फेंका था, जो यहां आकर स्थापित हो गया। यहां पर अद्भुत परंपरा के चलते शनि देव को तेल अर्पित करने के बाद उनसे गले मिलने की प्रथा है। यहां आने वाले भक्त बड़े प्रेम और उत्साह से शनि देव से गले मिलते हैं और अपने सभी दुख-दर्द उनसे सांझा करते हैं।

दशर्नों के उपरांत अपने घर को जाने से पूर्व भक्त अपने पहने हुए कपड़े, चप्पल, जूते आदि को मंदिर में ही छोड़ कर जाते हैं। भक्तों का मानना है की उनके ऐसा करने से पाप और दरिद्रता से छुटकारा मिलता है।


लोगों की आस्था है कि मंदिर में शनि शक्तियों का वास है। इस अद्भुत परंपरा के चलते शनि अपने भक्तों के ऊपर आने वाले सभी संकटों को गले लगा ले लेते हैं। इस चमत्कारिक शनि पिण्ड की उपासना करने से शीघ्र ही मनवांछित फलों की प्राप्ति होती है।

 

 

Niyati Bhandari

Advertising