Smile please: क्यों खुद को जीतना, दुनिया को जीतने से ज्यादा महत्वपूर्ण है?

punjabkesari.in Friday, Oct 24, 2025 - 06:02 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: गरीबी का मुंह न देखना पड़े, तो आज से गरीब, लाचार बेसहारों की मदद करना शुरू कर दो। ऐसा करने वालों पर भगवान प्रसन्न होते हैं और उनके भंडार भरे रहते हैं। ऐसे परिवारों में सुख-समृद्धि हमेशा बनी रहती है, फिर उनको किसी के आगे हाथ फैलाने की जरूरत नहीं रहती। —एस.एस. खुराना

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चिंता मिटाने के लिए चिंतन करने की जरूरत है। सत्संग में आ कर ङ्क्षचता मिट जाती है। आंतरिक शक्तियां जागृत होती हैं। फिर बाहर के सहारों की जरूरत नहीं रहती। हमारे अंदर ही दीपक जल जाता है और हम आत्मनिर्भर हो जाते हैं व हमारा जीवन एक मिसाल बन जाता है। —महाराज कमलबीर जी

पहली बार कार्य में फेल होने पर घबराएं नहीं। खुद को कोसें नहीं। फालतू बातें कर अपनी एनर्जी बर्बाद मत करें।     —डॉ. अब्दुल कलाम

मैं हरगिज यह नहीं चाहूंगा कि कोई भी हिन्दुस्तानी अपनी मातृभाषा को भूल जाए या उसकी उपेक्षा करे या उसे देख कर शरमाए अथवा यह महसूस करे कि अपनी मातृभाषा के जरिए वह ऊंचे से ऊंचा चिंतन नहीं सकता।   —महात्मा गांधी

हमारी संतान के लिए मस्तिष्क की स्फूॢत को बढ़ाने का उपाय मातृभाषा के अध्ययन से बढ़कर कोई दूसरा नहीं। मातृभाषा हृदय को उत्तेजित करती है, मन को दृढ़ बनाती है, आत्मा को शुद्ध रखती है।
—थामस डेविस

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जो मनुष्य अहंकार करता है उसका पतन अवश्य होता है। —स्वामी दयानंद सरस्वती

मातृभाषा की हमारी परिभाषा है, जिसके बोलने में अनपढ़ से अनपढ़ आदमी और बच्चा तक भी व्याकरण की गलती न कर सके।   —राहुल सांकृत्यायन

वह आदमी सचमुच महान है, जो गुस्से में भी गलत काम नहीं करता। —शेख सादी

दूसरों के पथ को रोकने वाले का अपना पथ भी अवरुद्ध होता है। —अज्ञात

हजार योद्धाओं पर विजय पाना आसान है, परन्तु जो इंसान अपने ऊपर विजय पाता है वही सच्चा विजेता है। उसे कोई भी हरा नहीं सकता। —गौतम बुद्ध

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Content Editor

Sarita Thapa

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