Smile please: वास्तव में अमीर और खुश होना चाहते हैं तो...

Thursday, Aug 31, 2023 - 10:32 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: सब कहते हैं कि पैसे से सब कुछ मिल सकता है, किन्तु पैसे का सुख तो अपूर्ण होता है क्योंकि पैसे के द्वारा आप भोजन खरीद सकते हैं, किंतु पैसे से आप भूख नहीं खरीद सकते। पैसे का सुख, सुख नहीं सुखाभास है। पैसा साध्य नहीं, जीवन का एक साधन है, इसलिए पैसे को ज्यादा महत्व न दें...                   (अज्ञात)

हम सभी को पैसे से बड़ा प्यार है... है न ? नि:संदेह इस बात से कोई इनकार नहीं कर सकता कि पैसे में वह ताकत है जो सारी दुनिया इसके इर्द-गिर्द घूमती है क्योंकि यह असंभव को संभव और अकल्पनीय को वास्तविक बना सकता है। हम सभी इस बात के अनुभवी हैं कि कैसे पैसा अच्छे-अच्छों की मनोदशा और रंग चुटकियों में बदल देता है।

अपने वजन तले वह सच्चाई को दबा सकता है और दोषी को बाइज्जत बरी करवा कर निर्दोष को सजा दिला सकता है। वर्तमान कलिकाल में यह देखा जा रहा है कि आस्था के मामले में भी पैसे का बड़ा दबदबा होता जा रहा है। मसलन, यह आपको आपके पसंदीदा गुरुओं से आशीर्वाद एवं उनके भव्य आश्रमों में बड़ी आसानी से प्रवेश भी दिलवा सकता है और आपको उनके चहेते भक्त की उपमा भी दिलवा सकता है।

पैसे देकर आप मंदिर में बिना किसी कतार में खड़े रहकर तत्क्षण अपने पसंदीदा देवी-देवता के दर्शन भी कर सकते हैं।  
इन सभी का सार यही निकलता है कि हर वह चीज, जिसे खरीदा जा सकता है, पैसा आपको वह सहजता से प्राप्त करवा सकता है। हालांकि, पैसा हमारे भीतर ऐसा भ्रम पैदा करता है, जैसे कि हम बस स्वर्ग का सुख भोग रहे हैं, किन्तु इस भ्रम में हम यह भूल जाते हैं कि पैसा हमें बड़ा घर दिलवा सकता है, परन्तु सुखी परिवार नहीं वह हमें उत्कृष्ट व्यंजन एवं स्वास्थ्य सेवा दिलवा सकता है, पर अच्छा स्वास्थ्य नहीं, वह हमें उच्च सुरक्षा प्रदान कर सकता है, पर न्यूनतम सुरक्षा की गारंटी नहीं दे सकता, वह हमें मनोरंजन के अनगिनत संसाधन लाकर दे सकता है, किन्तु सच्ची खुशी और उल्लास कतई नहीं, वह हमें नर्म गद्दे पर सुला सकता है, परन्तु चैन की नींद नहीं दे सकता।

इससे हम उच्च शिक्षा पा सकते हैं, किन्तु बुद्धिमत्ता नहीं और आखिर में, पैसा हमें जघन्य अपराध की सजा से छुटकारा दिला सकता है, किन्तु वह हमें दैवीय न्याय से मुक्ति नहीं दिला सकता और न ही वह हमारे किए हुए पापों से मुक्ति दिला सकता है।
स्मरण रहे, जब तक हम इसके स्वामी बनकर उसका उपयोग करेंगे, तब तक हम इससे खुुशी पाते रहेंगे, किन्तु जिस दिन यह हमारा स्वामी बन गया, उस दिन से हमारी दुर्दशा शुरू हो जाएगी। तो, इस सारी कहानी का संदेश यह है की पैसे से इन्सान को कभी स्थायी खुुशी मिल ही नहीं सकती क्योंकि उसकी प्रकृति में ही यह बात नहीं है कि वह खुशी को उत्पादित कर सके।


अत: यदि हम वास्तव में अमीर और खुश होना चाहते हैं, तो हमें दुआओं रूपी धन कमाने की मेहनत में लग जाना चाहिए क्योंकि दुआ ही एक ऐसी चीज है जो हमारी वास्तविक सम्पत्ति है और जो हर जन्म में हमारे साथ चलती है।

Niyati Bhandari

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