Smile please: अपने लिए भी कुछ समय निकालें

Friday, Feb 24, 2023 - 08:51 AM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

Smile please: अपने जन्म से लेकर मृत्यु तक हम निरंतर लोगों से घिरे रहते हैं। उनमें से कुछ लोग हमारी पसंद के होते हैं और कुछ नापसंद के भी होते हैं, परन्तु लोगों के इस घेरे से हम कभी बाहर निकल ही नहीं पाते। क्या कभी आपने इस बात पर गौर किया है कि पूरे दिन के दौरान हम में से कितनों को वास्तव में खुद के साथ रहने का मौका मिलता है ?



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ऐसे भाग्यशालियों की संख्या तो बहुत कम होगी, क्योंकि सारा दिन विभिन्न प्रकार के बहिर्मुखी लोगों में रहकर हम खुद इतने बहिर्मुखी बन जाते हैं कि हम अंतर्मुखता का अनुभव करना जैसे भूल ही जाते हैं।

हमारा भावनात्मक व्यवहार इस बात पर निर्धारित होता है कि अक्सर हम दूसरों को सुनने और उन्हें समझने के लिए कितने तैयार हैं। मसलन, सैंकड़ों लोगों के बीच किसी सामाजिक कार्यक्रम में जाना, जहां हमें कोई पहचानता न हो वह थोड़ा-सा अजीब लगता है, लेकिन उसके बजाय यदि हम कोई पारिवारिक समारोह में जा रहे हैं, तो वह अनुभव पूरी तरह से सुखद और मनोरंजक होगा, क्योंकि वहां सभी लोग हमारे जान-पहचान वाले होते हैं जिनके साथ मिलना-जुलना हमारे लिए आसान बन जाता है।



इससे यह बात स्पष्ट सिद्ध होती है कि जब हम स्वयं को अपनों के बीच सुरक्षित महसूस करते हैं, तब हमें अपने आस-पास कोई भी सुरक्षा बाड़ डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती। हमारी जो प्रतिक्रिया है वही वास्तव में हमारी पीड़ा का मूल कारण है। अत: इससे छूटने का सरल रास्ता है कि हम अनुमान रहित रहें और सभी को बड़े दिल से स्वीकार करने का रवैया रखें।


 

यदि हम ऐसी दुनिया बनाना चाहते हैं जहां कोई अवरोध न हो तो उसके लिए हमें सर्वप्रथम स्वयं के साथ मित्रता करके फिर शाश्वत शांति और सुख प्राप्त करने के हमारे सपने को पूरा करने के लिए संभावनाओं की एक पूरी नई दुनिया का द्वार खोलने का बीड़ा उठाना होगा। तो बोलिए हैं तैयार ? 

Niyati Bhandari

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