Smile please: पैर की मोच और छोटी सोच, आगे बढ़ने नहीं देती

Thursday, Sep 10, 2020 - 08:13 AM (IST)

 शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ

तुम्हारे पैदा होने पर तुम्हारे माता-पिता ने खुशियां मनाईं, फिर उंगली पकड़ तुम्हें चलना सिखाया। कभी-कभी तुम्हारे पिता तुम्हारे लिए घोड़ा भी बने। जब तुम तोतली भाषा बोलते थे तो वह भी तोतली भाषा में बोलते थे। जब तुम कौवे को तौउवा बोलते थे तो वह भी तौउवा बोलते थे। बचपन में तुझे लाड लड़ाए, माता ने तुम्हें लोरियां सुनाईं तुम्हारा सुंदर मुखड़ा देख कर वे निहाल हो जाते थे। बड़ा होने पर तुम्हें स्कूल छोडऩे जाते थे। टाफियां-चाकलेट खाने को देते थे। तुम्हें अच्छे संस्कार देकर तुम्हें योग्य बनाया। तुम जब सुस्त होते थे तो सारा परिवार बेचैन हो जाता था। तुम्हारी खुशी में सब अपनी खुशी मनाते थे। तुम पढ़-लिख कर बड़े हुए तुम्हारी शादी कर दी गई। तुम कमाने योग्य हो गए। अब तुम अपने माता-पिता की सेवा कर उनके सपने साकार करो।



वामन भगवान ने राजा बली का अहंकार चकनाचूर कर संसार को संदेश दिया था कि श्री हरि को समर्पित होकर अहंकार त्याग दें फिर आनंद का अनुभव होगा। —संत सुभाष शास्त्री

भगवान के नाम का स्मरण करने से मनुष्य का संदेह, मिथ्या ज्ञान, भय समाप्त हो जाते हैं।

बुद्धि जिसके पास है उसी के पास बल होता है – चाणक्य नीति

ईश्वर का हाथ थाम लें और उनसे मित्रता सुदृढ़ करें। सुख-दुख में सम भाव रहे, ईश्वर पर भरोसा रखें। —सुकरात

पैर की मोच और छोटी सोच, आगे बढ़ने नहीं देती


मित्रता श्री कृष्ण और अर्जुन, श्री कृष्ण और सुदामा जैसी होनी चाहिए। मित्र पर विश्वास रखें जो अंतिम समय तक साथ निभाता है।

स्नेह और सौहार्द का बने रहना राष्ट्रीय एकता को साबित करता है। भारत की गंगा-जमुनी संस्कृति इसका सर्वश्रेष्ठ उदाहरण है। आपस में भेदभाव नहीं होना चाहिए। —डा. राधा कृष्ण

सत्संग में आकर बुद्धि सुधर जाती है, दृष्टि बदल जाती है, धर्म ग्रंथ पढ़ें और बुजुर्गों की सेवा करें आपका जीवन सुधर जाएगा। —सिद्ध पीठ के पं. राजकुमार

जो अपने माता-पिता की सेवा नहीं करते और अनादर करते हैं, वे राक्षस हैं और दर-दर की ठोकरें खाते हैं।

प्रभु का नाम चिंतामणि है। इससे आत्मा को आनंद व संतोष मिलता है। मनोकामना पूर्ण होती है और जीवन में उन्नति होती है। —संत बेदी

Niyati Bhandari

Advertising