रात को सोने से पहले जरू़र दें दिशाओं पर ध्यान वरना...

Thursday, Mar 11, 2021 - 05:33 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
रात को थक हार कर जब व्यक्ति अपने बेडरूम में जाता है तो केवल आराम करने का सोचता है। दिन भर थकान की दूर करने के लिए व्यक्ति बिना सोचे-समझें बिस्तर पर लेट जाता है। उस समय उसे अपनी दिशा या बिस्तर के दशा-दिशा की होश नहीं होती। वास्तु के अनुसार ऐसा करना कभी-कभी भारी पड़ जाता है। जी हां, वास्तु शास्त्र में दिशाओं का अधिक महत्व है। कहा जाता है गलत दिशा में सोने से व्यक्ति के जीवन में अनचाही परेशानियां आ जाती हैं। इतना ही नहीं, अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए तो नींद की गोलियों, डिप्रेशन, कार्य की व्यस्तता, चिंताओं के बोझ आदि से बचा जा सकता है। इसलिए व्यक्ति को इस बात पर गौर करना चाहिए कि सोते समय दिशा क्या है। तो आइए आपको बताते हैं वास्तु शास्त्र के अनुसार सोते समय दिशा क्या होनी चाहिए। 


वास्तु के अनुसार कहा गया है कि दक्षिण दिशा की ओर पैर और उत्तर दिशा की ओर सिर रख कर नहीं लेटना चाहिए। दक्षिण दिशा में यमलोक है। इस दिशा में सोने से खुलता है मौत का दरवाजा। दक्षिण दिशा की ओर पैर करके सोना या मुख करके बैठना शरीर के लिए हानिकारक है। अपने निवास का मुख्य द्वार कभी भी दक्षिण की ओर नहीं रखना चाहिए। विशेष रूप में वीरवार के दिन दक्षिण दिशा हानिकारक होती है। वीरवार की प्रधानता के कारण उस दिन पृथ्वी का चुंबकीय क्षेत्र और प्रबल हो जाता है।


पृथ्वी गुरुत्वाकर्षण पर टिकी है। अपनी धुरी पर घूम रही है। इसकी धुरी के उत्तर-दक्षिण दो छोर हैं। यह चुंबकीय क्षेत्र हैं। अतएव मनुष्य जब दक्षिण की ओर पैर करता है तो वह पृथ्वी की धुरी के समानांतर हो जाता है। इस प्रकार धुरी के चुंबकीय प्रभाव से उसका रक्तप्रवाह प्रभावित होता है। सिरदर्द, हाथ-पैर की ऐंठन, कमरदर्द, शरीर का कांपना जैसा दोष आता जाता है, दक्षिण दिशा फेफड़ों की गति अत्यंत मंद करती है। इसी कारण मृत व्यक्ति के पैर दक्षिण दिशा की ओर कर दिए जाते हैं ताकि उसके शरीर का रहा-सहा जीवांश भी समाप्त हो जाए।

Jyoti

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