Skanda Sashti 2021: भगवान कार्तिकेय के पूजा से होती है पुत्र प्राप्ति

Sunday, Sep 12, 2021 - 02:12 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
धार्मिक शास्त्रों के अनुसार देवी पार्वती के पुत्र कार्तिकेय को भगवान स्कंद के नाम से जाना जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार स्कंद षष्ठी के दिन इनकी आराधना की जाती है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को स्कंद षष्ठी का पर्व मनाया जाता है। जिस दौरान मुरगन यानि भगवान कार्तिकेय की पूजा संपन्न की जाती है। साथ ही साथ इस दिन लोग व्रत आदि करते हैं। धार्मिक मान्यता है इस दिन भगवान की उपासना करने से जातक के सारे कष्ट दूर हो जाते हैं। ये भी कहा जाता है कि स्कंद षष्ठी का व्रत करने से व्यक्ति को पुत्र की प्राप्ति होती है। धार्मिक ग्रंथों के अनुसार कार्तिकेय भगवान शिव के बड़े पुत्र हैं जिनकी पूजा दक्षिण भारत में मुख्य रूप से की जाती है। 

स्कंद षष्ठी महत्व
धार्मिक मान्यता है कि स्कंद षष्ठी तिथि भगवान कार्तिकेय को अधिक प्रिय है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन भगवान कार्तिकेय ने दैत्य ताड़कासुर का वध किया था। ज्योतिष मान्यता के अनुसार भगवान स्कंद को चंपा के पुष्फ अधिक प्रिय हैं, इसलिए इन्हें चंपा षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है। 

स्कंद षष्ठी शुभ मुहूर्त 2021 
भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि
प्रारम्भ – शाम 07:37 पी एम, 11 सितंबर से शुरू होकर 
समाप्त – शाम 05:20 पी एम, 12 सितंबर तक है

पूजन विधि
भगवान कार्तिकेय के साथ शिव-पार्वती की प्रतिमा भी स्थापित की जाती हैं और उनकी भी पूजा होती है।
पूजा के समय घी का दीपक जलाएं।
भगवान को जल, पुष्प आर्पित करें. कलावा, अक्षत, हल्दी, चंदन पूजन की थाली में रखें और पूजा के समय भगवान को लगाएं।
फल और फूल का प्रसाद चढ़ाएं।
शाम के समय फिर से भगवान कार्तिकेय की पूजा कें, आरती करें और भोग लगाएं।

Jyoti

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