Sita Ashtami 2021: आइए करें, जनकपुर धाम का दर्शन

Saturday, Mar 06, 2021 - 09:26 AM (IST)

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Janakpur Dham Nepal- आज सीताष्टमी अथवा जानकी जयंती है। कहते हैं इस दिन देवी सीता का प्राकट्य हुआ था। तो आइए इस शुभ अवसर पर हम आपको करवाते हैं जनकपुर धाम का दर्शन। नेपाल का जनकपुर धाम अपने दामन में अनेक सांस्कृतिक धरोहरों को समेटे हुए है। यहां आध्यात्मिक दृष्टि से महत्त्वपूर्ण स्थलों की गणना करना एक मुश्किल कार्य है। जनकपुर धाम में असंख्य मंदिरों का होना अपने आप में उपलब्धि है। आज जनकपुर धाम पर्यटकों के लिए पर्यटन का मुख्य केन्द्र बन चुका है।

What is Janakpur Dham Famous for- प्राचीन काल से ही जनक, सुनैना आदि परिवार का दर्शनीय मन्दिर है जानकी मन्दिर। मिथिला अम्बा के हृदय प्रांगण जनकपुर धाम में स्थित है जानकी मन्दिर। यहां आदि काल से ही राजा जनक और सुनैना की मूर्तियां भी विद्यमान हैं।

 

Brthplace of devi Sita- आस्था और आध्यात्मिकता का मिलाजुला मिश्रण लिए इस मन्दिर में स्थापित मूर्तियां अति प्राचीन लगती हैं। मंदिर के आंतरिक भाग में जानकी और श्रीराम के साथ ही लक्ष्मण की मूर्तियां हैं। इस मंदिर की यह परंपरा रही है कि सभी मंदिर महंत परंपरा से ही संचालित होते आ रहे हैं।

Janaki Jayanti 2021- मन्दिर के प्रत्येक इलाके को उसकी पट्टी के नाम से जाना जाता है जैसे राम मंदिर के इलाके को रामपट्टी कहा जाता है। इसी प्रकार लक्ष्मण पट्टी, जानकी पट्टी आदि अनेक भाग हैं। इस मंदिर के विकास के लिए नेपाल के महाराज द्वारा समय-समय पर आर्थिक सहायता दी जाती रही है।

Sita Ashtami- जनकपुर धाम के विशाल गढ़ की लंबाई 15 कि. मी. पूर्व 15 कि. मी. पश्चिम तथा इतना ही उत्तर तथा दक्षिण में है। धाम के पश्चिम में गलेश्वर नाथ महादेव एवं माण्डेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है। उत्तर में क्षिरेश्वर नाथ एवं पर्वतेश्वर नाथ का मंदिर है। पूर्व में सिंघेश्वरनाथ एवं महेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है। दक्षिण में कल्याणेश्वर नाथ एवं विश्वनाथ महादेव का मंदिर है। इसी प्रकार जनकपुर धाम के पश्चिम में बानिमाची ऋषि का आश्रम है। उत्तर में याज्ञवल्क्य ऋषि का आश्रम, पूर्व में महर्षि विश्वामित्र का मंदिर तथा दक्षिण में विभाण्डक मुनि का आश्रम स्थित है।

Janakpur zone- इतिहास के अनुसार मुनियों द्वारा इस जनकपुर धाम के पांच कोस तक गुप्त रूप से परिक्रमा की जाती थी। उसी समय गंगासागर के पूर्वी तट पर वटवृक्ष के नीचे मस्तरामाचार्य तपस्या में लीन थे। उन्होंने तपस्या के क्रम में ही एक दिन हनुमान जी का दर्शन पाया। कुछ दिनों के बाद उसी स्थान पर शेषावतार लक्ष्मण तथा लव-कुश की मूर्ति धरती के अन्दर से प्रकट हुईं। इस स्थान के कुछ ही दूरी पर नीम के पेड़ के नीचे राजा जनक के दरबार की मूर्तियां भी मिलीं। उसी समय से उक्त मूर्तियों की पूजा-अर्चना शुरू हो गई।

Janakpur city- नेपाल नरेश तथा हिकमगढ़ महाराजा के सहयोग से जानकी मंदिर का निर्माण कराया गया। कहा जाता है कि हिकमगढ़ महाराज की कोई संतान नहीं थी।उन्होंने एक के बाद एक तीन महिलाओं से शादी की किंतु तीनों रानियों में से किसी की भी सन्तान नहीं हुई। उस समय महन्त राजकिशोर शरण वहां की पूजा किया करते थे। एक दिन हिकमगढ़ महाराज अपनी तीनों रानियों के साथ जनकपुर धाम दर्शन के लिए पहुंचे। महन्त राजकिशोर शरण ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद प्रदान किया। ईश्वर की कृपा से तीनों रानियों ने समयानुसार एक-एक पुत्र को जन्म दिया। महाराज अपने पुत्रों एवं रानियों के साथ फिर से जनकपुर धाम आए और उन्होंने जानकी मंदिर का निर्माण कराना शुरू किया। उस समय इस मंदिर के निर्माण में नौ लाख रुपए का खर्च आया था। इसी कारण इस मन्दिर को ‘नौलखा’ मंदिर भी कहा जाने लगा।

Janakpur Tourism 2021- जनकपुर धाम में अगहन (अग्रहण) माह के शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि को ‘विवाह पंचमी’ महोत्सव का आयोजन बड़ी धूमधाम से किया जाता है। इस अवसर पर लाखों की संख्या में भक्तगण जुटते हैं। सभी मूर्तियों पर नए-नए वस्त्र-आभूषण आदि चढ़ाए जाते हैं।

इस मंदिर को लोग जागृत मानते हैं क्योंकि यहां भक्तों की सच्चे मन से मांगी गई मुरादें अवश्य ही पूरी होती हैं। यहां लोग अपने बच्चों का मुंडन, उपनयन आदि भी कराते हैं। लोगों का मानना है कि विवाह के बाद जो विवाहित जोड़े इस धाम में पहुंचकर पूजा-अर्चना करते हैं, उनका पारिवारिक (दांपत्य) जीवन सुखमय बीतता है और सन्तति तथा सभी भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है।

Best of Janakpur- जनकपुर धाम स्थित जानकी एवं राम मंदिर सिद्धपीठ की तरह उदीयमान हैं। मंदिर के इर्द-गिर्द अनोखे शिला लेख भी देखने को मिलते हें। यहां एक तालाब है जिसका  नाम ‘गंगासागर’ है। इस तालाब के विषय में बताया जाता है कि महाराज जनक ने ‘शिव धनुष’ की पूजा के लिए पवित्र जल की मांग की थी और शिव ने स्वयं आकाश से यहां जल प्रदान किया था।  

 

Niyati Bhandari

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