‘देवी-देवताओं’ के स्वरूप में छिपे तनाव मुक्ति के संकेत, साथ ही जानिए कुछ मंत्र

Wednesday, Mar 16, 2022 - 03:07 PM (IST)

शास्त्रों की बात, जानें धर्म के साथ
भारत धर्म प्रचार का देश है। पर्व-त्यौहार, पूजन-पाठ, ध्यान-साधना, तीर्थाटन, विभिन्न धार्मिक अनुष्ठान, यज्ञ, हवन, भक्ति भावना का वातावरण चारों ओर दिखाई देता है, फिर भी जिसे देखो वही तनावग्रस्त है। हमारे प्राचीन ऋषि-मुनियों ने तनाव मुक्ति के लिए ही हमारे पूज्य देवी-देवताओं के स्वरूप की संरचना की। साधारण व्यक्ति देवी-देवताओं के स्वरूप में तनाव मुक्ति के संकेतों को ध्यान से देखें तो उसे हमारे पूज्य देवी-देवताओं के तनावमुक्ति संदेशों को समझने में देर नहीं लगेगी। सबसे पहले हमारे शरीर की संरचना को जानना-समझना आवश्यक है। भगवान श्रीकृष्ण ने महाभारत युद्ध के समय तनावग्रस्त अर्जुन को अपने विराट स्वरूप का बोध कराया था।

छोटी से छोटी बात या घटना का मस्तिष्क पर तुरन्त असर होता है, जो तनाव का रूप ले लेता है। तनाव स्थायी भी होता है और क्षणिक भी। यहां हम चर्चा करेंगे देवी-देवताओं के स्वरूप में छिपे हुए तनाव मुक्ति के संकेतों की। देवी-देवताओं में भगवान श्री गणेश, महादेवी लक्ष्मी, जगत पिता शिव, शक्तिदायनी दुर्गा, भगवान श्री कृष्ण, विवेक की देवी सरस्वती आदि, इन सभी देवी-देवताओं के तनाव मुक्ति संकेतों का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत है:

भगवान शिव : मनुष्य पारिवारिक प्राणी है। पशु-पक्षी भी अपने परिवार का पालन-पोषन करते हैं। पारिवारिक शांति के लिए भगवान शिव का संकेत है त्याग का। परिवार में विभिन्न प्रकृति के सदस्यों को एकता में बांध कर रखना। भेदभाव न रखना। कड़वी एवं विषैली बातों का विषपान। अपना मस्तिष्क सदैव शीतल रखना, कामना का नाश करना।

मंत्र-
ॐ नम: शिवाय।

मां दुर्गा : संगठन एवं सहयोग संकेत है मां दुर्गा का। हर समस्या का समाधान है संगठन एवं आपसी सहयोग। आसुरी शक्तियों से सामना एवं उन पर विजय प्राप्त करना भी एक संकेत है।

मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै'

भगवान श्री गणेश : भगवान श्री गणेश विश्व के प्रथम शॉर्टहैंड राइटर थे। इनके हाथ में कलम का संकेत है कि किसी भी बात को हम कागज पर लिख लें तो वह बात मस्तिष्क में चक्कर न लगाकर हमारी आंखों के सामने कागज पर लिखी नजर आएगी। तनाव की कोई समस्या यदि लिख ली जाए तो हमारे मस्तिष्क को उसका समाधान खोजने का 

मंत्र- गण गणपतये नमो नम

भगवान श्री गणेश गज मस्तक हैं। हाथी की जीभ भीतर जाती है, जबकि सभी प्राणियों की जीभ बाहर आती है। इसका संकेत है बोलने से पहले जीभ पर नियंत्रण। लम्बे कान का संकेत है सिर्फ सुनी गई बात पर विश्वास न करना। भगवान श्री गणेश लम्बोदर हैं इसका संकेत है सुनी हुई बातों को पचाना। ये विवेक के देवता हैं। किसी भी कार्य के पहले विवेक से चिंतन की आवश्यकता होती है।

महादेवी लक्ष्मी : धन का तनाव सबसे जटिल तनाव है। लक्ष्मी जी के पीछे दो हाथी खड़े रहते हैं। एक हाथी प्रतीक है कमाने वाले का एवं दूसरा हाथी प्रतीक है खर्च पर नियंत्रण का। ध्यान रहे कि कमाने के साथ ही खर्च पर नियंत्रण सबसे जरूरी है। अनावश्यक खर्च ही तनाव का मुख्य कारण है। इनके खुले हाथ मुक्त हस्त का संकेत है। धन को तिजोरी या कहीं पर जमा करके नहीं रखना। चोरी, लूट, हत्या, सरकारी छापे का मुख्य कारण धन को संग्रह कर बंद रखना ही है। पूजा स्थल पर अंकित शुभ-लाभ संकेत है कि सिर्फ लाभ ही नहीं सोचना। ऊल्लू का संकेत है गलत, आर्थिक नीति अथवा फिजूल खर्ची का दुष्परिणाम।
 
मंत्र- ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं श्री सिद्ध लक्ष्म्यै नम: 

विद्या की देवी सरस्वती :
सरस्वती ज्ञान एवं विवेक की देवी हैं। वीणा के तार की तरह हमारे स्नायु नियंत्रण में रहें, ढीले भी नहीं, कड़े भी नहीं। हंस संकेत है - विवेक एवं ज्ञान के गलत उपयोग का चिंतन न हो।
मंत्र- ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नमः।

भगवान श्री कृष्ण : प्रतिकूल परिस्थितियों में भी सदा प्रसन्न रहना एवं मुस्कुराते रहना ही संकेत है भगवान श्रीकृष्ण का। जन्म से पहले मां-बाप को कैद, कारागार में घनघोर रात्रि में जन्म, राजघराने में पैदाइश पर ग्वाल परिवार में परवरिश, बचपन में मामा के अत्याचार। महाभारत में धैर्यपूर्वक गीता का उपदेश, अपने सामने ही पूरे यदुवंश का नाश फिर भी मुस्कान, कोई तनाव नहीं। किसी भी देवी-देवता की अर्चना, ध्यान, उपासना का सही अर्थ है उन पर पूरी श्रद्धा एवं विश्वास।

मंत्र- 'ॐ नमो भगवते श्री गोविन्दाय'

एक भक्त ने भगवान से जिज्ञासा की-मेरी तेरे पर पूरी श्रद्धा है-तेरे को मेरे पर विश्वास है या नहीं। भगवान का उत्तर था-तेरे को मेरे पर पूरी श्रद्धा होती तो तू यह सवाल ही नहीं करता। छोटे बालक ध्रुव की श्रद्धा भक्ति से प्रसन्न होकर भगवान प्रकट हुए। उन्होंने ध्रुव से कहा बोल-क्या चाहता है? ध्रुव ने कहा-मैं व्यापारी नहीं। सब कुछ देकर लेने को नहीं आया। मैं केवल भक्ति के लिए भक्ति करता हूं। मैं आपसे आपको मांगता हूं। तनाव क्या? तनाव की छाया भी नहीं रहेगी। यदि हम सही मन से समझेंगे-देवी-देवताओं के तनाव मुक्ति संकेतों को। —पुष्करलाल केडिया

Jyoti

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