शब-ए-बारात 2020: मुस्लिम भाई करते हैं गुनाहों से तौबा, रात भर होती है इबादत

Wednesday, Apr 08, 2020 - 03:51 PM (IST)

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जहां आज एक तरफ़ हिंदू धर्म का मुख्य हनुमान जयंती का त्यौहार मनाया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर आज इस्लाम मजहब का भी खास पर्व है, जिसे शब-ए-बारात मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यताओं की मानें तो, यह इबादत की रात होती है। बता दें शब-ए-बारात का आज शाम से शुरू होकर कल सुबह यानि 9 अप्रैल के सूर्योदय तक रहेगा। कहा जाता है जो लोग इस दिन पाक मन से इस दिन इबादत करते हैं उनके पिछले सारे गुनाह माफ़ हो जाते हैं। यही कारण है रात के हर मुस्लिम इबादत में डूबा दिखाई देता है।

आइए जानते हैं क्या है शब-ए-बारात का अर्थ-
इस्लामिक मान्यताओं के अनुसार दरअसल शब-ए-बारात के दिन एक प्रकार से रमजान में रखे जाने वाले रोजे के लिए खुद को तैयार किया जाता है। इसके अलावा इस रात अल्लाह की इबादत कर उनसे अपने गुनाहों की तौबा की जाती है। बता दें शब से आशय रात है और बारात (बअरात) का अर्थ बरी होना है। अगर हिजरी कैलेंडर की मानें तो यह रात साल में एकबार शाबान महीने की 14 तारीख को सूर्यास्त के बाद आरंभ होती है।

कैसे मनाते हैं यह पर्व-
मुस्लिम धर्म के लोग इस पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। जिसके लिए बकायदा तैयारियां की जाती हैं। मज़हब से जुड़े लोग अपने घरों में विभिन्न प्रकार के पकवान जैसे हलवा, बिरयानी, कोरमा आदि बनाते हैं, तथा गरीबों में बांटकर खुद परिवार सहित खाते हैं। शब-ए-बारात में मस्जिदों और कब्रिस्तानों में खास तरह की सजावट की जाती है। लाइट्स लगाई जाती हैं। वहीं बुजुर्गों व अपने करीबियों की कब्रों पर चिराग जलाएं जाते हैं और उनकी मगफिरत की दुआंए मांगी जाती हैं। मगर बता दें फिलहाल पूरे देश में लॉकडाउन होने की वजह से ऐसा कर पाना संभव नहीं होगा।

चार मुकद्दस रातों में से एक है ये रात-
अरब में शब-ए-बारात को लैलतुन बराह या लैलतुन निसफे मीन शाबान के नाम से जाना जाता है। तो वहीं दक्षिणी एशियाई देशों मे शब-ए-बारात ही कहा जाता है। इस्लाम में शब-ए-बारात की रात को चार मुकद्दस रातों में से एक माना जाता है, जिसमें पहली आशूरा की रात, दूसरी शब-ए-मेराज, तीसरी शब-ए-बारात और चौथी शब-ए-कद्र होती है।

Jyoti

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