समृद्धि जाने से पहले मिलता है, कुदरत का यह वास्तविक संकेत

Saturday, Aug 05, 2017 - 09:03 AM (IST)

एक बड़ा ही भला राजा था। वह अपनी प्रजा का पूरा ध्यान रखता था। प्रजा को कोई परेशानी होती तो तत्काल उसके निदान में लग जाता, चाहे दिन हो या रात। एक बार राजा शिकार खेलने जंगल गया। जानवरों की तलाश में घूमते-घूमते उसे बड़ी देर हो गई। वह थक गया। उसे प्यास सताने लगी। दूर उसे एक गांव दिखाई पड़ा। पास जाने पर उसने पाया, एक बुढिय़ा अपने गन्ने के खेत में बैठी है। राजा वहां गया और बुढिय़ा से कहा, ‘‘माई, मैं बहुत प्यासा हूं। एक गिलास पानी दे दो।’’ 


बुढिय़ा उठी, उसने एक गन्ना तोड़ा और उससे रस निकालकर गिलास में राजा को दे दिया। पीकर राजा ने कहा, ‘‘माई, अभी प्यास नहीं बुझी। एक गिलास और दे दो।’’


बुढिय़ा फिर से रस निकालने लगी। राजा के दिल में आया कि यह खेत तो बड़ा उपजाऊ है। बढिय़ा फसल होती है। एक गन्ने से एक गिलास भर गया, पर बुढिय़ा लगान नहीं देती होगी। उसने पूछा, ‘‘माई, इस खेत का लगान कितना देती हो?’’ 


बुढिय़ा ने कहा, ‘‘हमारा राजा बहुत अच्छा है, लगान नहीं लेता।’’


इस प्रकार का उत्तर पाकर राजा सोचने लगा कि बुढिय़ा बहुत चतुर है। सारा मुनाफा स्वयं ले जाती है। इस पर मैं कर लगाऊंगा। इस बीच बुढिय़ा ने एक गन्ना तोड़ा, 2 तोड़े, 3 तोड़े लेकिन गिलास नहीं भरा। राजा को विस्मय हुआ। उसने बुढिय़ा से पूछा, ‘‘माई, यह क्या हुआ? पहले एक गन्ने से गिलास भर गया था। अब 3 से भी नहीं भरा।’’ 


बुढिय़ा ने उत्तर दिया, ‘‘ऐसा लगता है कि हमारे राजा की नीयत में बदी आ गई है।’’ 


राजा को बुढिय़ा की बात समझ आ गई। अगर किसी की नीयत में बदी आ जाती है तो फिर कुदरत का वास्तविक संकेत यही होता है कि उसके पास से समृद्धि जाती रहती है।

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